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फर्जीवाड़ा : कागज पर कोयले का कारोबार, एसआइबी ने कसी नकेल

कागज पर ही कोयले का काला कारोबार खूब फल फूल रहा है। न तो संबंधित विभाग के पास और न ही पुलिस के पास इतनी फुरसत है कि हर गाडिय़ों की पूरी जांच करे।

By Vandana SinghEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 07:17 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 09:10 AM (IST)
फर्जीवाड़ा : कागज पर कोयले का कारोबार, एसआइबी ने कसी नकेल
फर्जीवाड़ा : कागज पर कोयले का कारोबार, एसआइबी ने कसी नकेल

वाराणसी, [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। कागज पर ही कोयले का 'काला कारोबार' खूब फल फूल रहा है। न तो संबंधित विभाग के पास और न ही पुलिस के पास इतनी फुरसत है कि हर गाडिय़ों की पूरी जांच करे। यही वजह है कि कोयला माफिया इसका लाभ उठाने में पीछे नहीं हट रहे हैं। कुछ ऐसे ही मामलों का खुलासा किया है वाणिज्य कर विभाग के विशेष अनुसंधान शाखा यानी एसआइबी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन ब्रांच) ने। एसआइबी ने मार्च व अप्रैल में सघन चेकिंग अभियान चलाया, जिसमें 21 फर्जी कंपनियां पकड़ी गई। यह अस्तित्व विहीन कंपनियां कागज पर ही कोयले पर कारोबार कर रही थी, जिसने चंदासी मंडी का नाम-पता दी थी। बताया तो यह भी जा रहा है कि यह फर्जी कंपनियों के पीछे कई सफेदपोश के भी हाथ है। हालांकि विभाग इनके नाम बताने से परहेज कर रहा है।

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ऐसे हुआ पर्दाफाश

दरअसल जीएसटी के तहत तमाम फर्मों का पंजीयन आनलाइन किया जा रहा है। व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं हो इसके लिए सरकार ने इतनी छूट दी है कि कंपनियां सही एवं जरूरी दस्तावेज से खुद ही आन लाइन अपनी फर्म का पंजीयन करा सकती है। पहले पूरी जांच के बाद ही फर्म का पंजीयन होता था, जिसको लेकर आए दिन लोगों की शिकायत आती थी कि अधिकारियों से उनको प्रताडि़त होना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने यह छूट दी थी। इसका लाभ उठाते कंपनियां पंजीयन करा रही है और इसकी बाद में जांच हो रही है। वाणिज्य कर विभाग जोन-1 ग्रेड-2 (एसआइबी) के  अपर आयुक्त कृष्ण वर्मा एवं संयुक्त निदेशक (एसआइबी ए) ओपी तिवारी ने बताया कि कुछ कंपनियों ने कोयले की फर्म के नाम से पंजीयन कराया था। जब इसकी जांच कराई गई तो 21 ऐसी कंपनियां थी जो अस्तित्व में थी ही नहीं। कंपनियों के नाम एवं पता वाराणसी से सटे कोयले की मंडी चंदासी का था, लेकिन उक्त नाम से कोई फर्म नहीं थी।

अन्य विभागों से भी मांगा सहयोग

अपर आयुक्त वर्मा एवं संयुक्त आयुक्त तिवारी ने बताया कि जब यह मामला प्रकाश में आया है तो सतर्कता और बढ़ा दी गई है। इसके लिए वन विभाग से भी सहयोग मांगा गया है। कारण कि जब कोयले की गाडिय़ां निकलती हैं तो वन विभाग ही खनिज कर वसूलता है। ऐसे में अगर वन विभाग भी सतर्कता बरतने लगे तो फर्जी कंपनियों को पकडऩा आसान हो जाएगा।

पूरे प्रदेश का नेटवर्क

चंदासी मंडी में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों से कोयला आता है। फिर यहां से चालान बनाकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भेजा जाता है। कई राज्यों के पास होने के कारण चंदासी मंडी बड़ा नेटवर्क माना जाता है। 


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