लखनऊ सहित छह जिलों में अवैध नियुक्तियों की जांच, निदेशक समाज कल्याण ने तलब की जांच रिपोर्ट
समाज कल्याण के अनुदानित विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों पर नियुक्त अध्यापकों की जांच शुरू हो गई है।
मऊ विपुल सिंह । समाज कल्याण के अनुदानित विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों पर नियुक्त अध्यापकों की जांच शुरू हो गई है। निदेशक समाज कल्याण बालकृष्ण त्रिपाठी ने लखनऊ, वाराणसी, गाजीपुर सहित आजमगढ़ मंडल के तीनों जिले आजमगढ़, मऊ व बलिया में फर्जी नियुक्ति की जांच के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखा है। 2014 से अब तक नियुक्त शिक्षकों की जांच कर निदेशक ने रिपोर्ट तलब की है।
समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित आंबेडकर विद्यालयों में अध्यापकों के फर्जी नियुक्ति का मामला अभी तक विभागीय कारस्तानी की भेंट चढ़ा हुआ है। जबकि इस मामले में कई स्तर की जांच पहले भी हो चुकी है और दर्जनों की तादाद में अध्यापक फर्जी भी पाए गए हैं। इसके बावजूद प्रतिवर्ष विभाग करोड़ों रुपये अवैध अध्यापकों पर लुटा रहा है। जौनपुर जनपद के मुंगरा बादशाहपुर की विधायक सुषमा पटेल ने बीते 18 दिसंबर को विधानसभा में समाज कल्याण विभाग के अनुदानित आंबेडकर विद्यालयों में अनियमित तरीके से की गई शिक्षकों की नियुक्ति का मामला उठाया। उन्होंने बताया है कि आजमगढ़, मऊ, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, लखनऊ सहित अन्य जनपदों में शासनादेश को दरकिनार कर अवैध शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।
इन विद्यालयों में 2014 के बाद अभी तक धड़ाधड़ खेल चल रहा है। अलग-अलग जनपदों में अलग-अलग आदेश पर नियुक्तियां की गई हैं। जनपद स्तरीय अधिकारियों व प्रबंधक प्रति वर्ष करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार कर रहे हैं। विधायक ने मांग किया था कि विभिन्न जिलों में की गई नियुक्तियों की जांच मंडल के आयुक्त या जिलाधिकारी स्तर के अधिकारी से कराई जाए। विधायक के सवाल पर विधानसभा सचिवालय ने समाज कल्याण मंत्री को पूरे मामले की जांच कराने के लिए पत्र लिखा था। सदन में उठाए गए इस मामले का संज्ञान लेते हुए निदेशक ने जिलाधिकारियों को जांच का जिम्मा सौंपा है।
डीएम ने बीएसए कार्यालय पर छापेमारी कर पकड़ी थी अनियमितता
तत्कालीन मंडलायुक्त जिला विद्यालय निरीक्षक व प्रभारी बेसिक शिक्षा अधिकारी डा.वीपी ङ्क्षसह की रिपोर्ट पर 24 फरवरी 2018 को तत्कालीन जिलाधिकारी प्रकाश ङ्क्षबदु ने बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर छापा मारा। इस दौरान समाज कल्याण के अनुदानित विद्यालयों में न तो नियुक्ति के अभिलेख मिले और न ही अनुमोदन। कई अनियमितताएं सामने आने पर जिलाधिकारी ने आंबेडकर विद्यालयों में अनियमित तरीके से नियुक्त 37 अध्यापकों पर एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश देते हुए सभी अभिलेखों को सील कराते हुए सुरक्षित डबल लॉकर में रखवा दिया था। जनपद के डेढ़ दर्जन विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2010 से शुरू नियुक्तियां कई वर्षों तक जारी रहीं। 2017 में सभी नियुक्त अध्यापकों को करोड़ों रुपया भुगतान भी कर दिया गया। इन नियुक्तियों के लिए ना ही शासन से अनुमोदन लिया गया और न ही दो प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में विज्ञापन ही निकलवाए गए थे।