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IIT-BHU से शुरू हो सकती है हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जारी की सूचना

इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी होगी जिसकी शुरूआत इसी साल से आइआइटी-बीएचयू से होने जा रही है। एक प्रेस बयान जारी कर शिक्षा मंत्रालय ने भी बताया है कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 में मातृभाषा में आइआइटी व एनआइटी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की शुरुआत करने जा रहे हैं।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 09:14 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 09:14 PM (IST)
IIT-BHU से शुरू हो सकती है हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जारी की सूचना
इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी होगी, जिसकी शुरूआत इसी साल से आइआइटी-बीएचयू से होने जा रही है।

वाराणसी, जेएनएन। अब देश में इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी होगी, जिसकी शुरूआत इसी साल से आइआइटी-बीएचयू से होने जा रही है। गुरुवार को एक प्रेस बयान जारी कर शिक्षा मंत्रालय ने भी बताया है कि शैक्षणिक सत्र 2021-22 में मातृभाषा में आइआइटी व एनआइटी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की शुरुआत करने जा रहे हैं। आइआइटी-बीएचयू में इस मार्फत तैयारी भी तेज हो गई है। संभावना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी आगमन पर इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है। सूत्रों के अनुसार अध्यापकों को कह दिया गया है कि वे हिंदी अध्यापन पर अभी से पकड़ मजबूत कर लें। वहीं आइआइटी में इसको लेकर एक-दो सप्ताह के भीतर एक बैठक भी होने वाली है, जिसमें इस फैसले पर चर्चा कर अमल में लाया जाएगा। ऐसी भी सूचना है कि 29 अक्टूबर को दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक से एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया। हालांकि आइआइटी-बीएचयू के सभी बड़े पदाधिकारियों ने इस पर कुछ बोलने से इन्कार किया है। हिंदी माध्यम से आइआइटी-बीएचयू में इसी सत्र से पढ़ाई शुरू हो सकती है, लेकिन अभी मंत्रालय से हरी झंडी मिलने का इंतजार है

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जेईई एडवांस परीक्षा में भी दी गई तरजीह

इस साल जेईई-एडवांस की परीक्षा में भी मातृभाषा को तरजीह दी गई थी, इसलिए संभव है ऐसे प्रयास अब इंस्टीट्यूट स्तर पर भी होंगे। देखने वाली बात यह है कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुद्ध हिंदी में होगी या फिर इसके लिए शब्दकोष की एक व्यावहारिक स्टाइल शीट तैयार की जाएगी। क्योंकि इन कोर्स में हिंदी के शब्द बहुत ही जटिल और लंबे होते हैं, जबकि अंग्रेजी अपेक्षाकृत सरल और सहज है। हालांकि यदि यह फैसला इस साल से लागू हुआ तो आजादी के बाद हिंदी को इस स्तर पर कभी स्थान दिलाने का काम नहीं हुआ है।


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