रहे बेपरवाह तो फिर न मिलेगी संभलने की राह, वाराणसी के बाजारों में तार-तार हो रही कोविड गाइड लाइन
कोरोना संक्रमण की धार कम होने के साथ एक बार फिर बाजार खुल चुके हैं तो पार्क-घाट गुलजार हैं। लंबे समय बाद सड़कों पर दिखती जीवंतता भले सुकून दे लेकिन तीसरी लहर की आशंका के बारे में जानते-समझते हुए भी बेपरवाही बेजार कर रही है।
वाराणसी, मु. रईस। कोरोना संक्रमण की धार कम होने के साथ एक बार फिर बाजार खुल चुके हैं तो पार्क-घाट गुलजार हैं। लंबे समय बाद सड़कों पर दिखती जीवंतता भले सुकून दे, लेकिन तीसरी लहर की आशंका के बारे में जानते-समझते हुए भी बेपरवाही बेजार कर रही है। न शारीरिक दूरी का पालन और न ही मास्क का ख्याल, यदि यही रहा हाल तो सीधी बात बात है कि सिर्फ रह जाएगा मलाल।
कुछ ऐसा ही हुआ था मार्च 2021 में जब कोरोना संक्रमण के मामले बेहद कम होने पर हम बेपरवाह हो गए थे, जो दूसरी लहर का कारण बना था। इस लहर ने इतनी तेजी से लोगों को प्रभावित किया कि संभलने के सारे जतन निष्प्रभावी साबित हो गए थे। अप्रैल का महीना था जब काशी कराह उठी थी। कोरोना मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या के कारण इलाज के लिए सरकारी अस्पताल कम पड़ गए थे। एक-एक कर निजी क्षेत्र के 53 अस्पतालों को कोविड हास्पिटल की मान्यता दी गई, लेकिन आक्सीजन युक्त बेड की कमी आंखों में नमी दे रही थी। श्मशान से लेकर कब्रगाहों तक शवों की कतार ने बेजार किया था।ऐसे में अब भी समय है, हम संभल गए तो संकट टल जाएगा, कोरोना पास तक न आएगा।
प्रशासन ने संभाला मोर्चा और संभले थे हालात
भला हो प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग का जिसने सक्रियता दिखाई और धड़ाधड़ आक्सीजन प्लांट लगाए गए। इसमें सबसे अधिक राहत दी डीआरडीओ के सहयोग से बीएचयू के एंफीथियटर ग्राउंट में बने 750 बेड के पं. राजन मिश्र कोविड हास्पिटल ने। इसमें बनारस ही नहीं पूर्वांचल के अति-गंभीर मरीजों को निश्शुल्क इलाज मिलना शुरू हुआ।
यही नहीं संक्रमण की तेजी का आलम यह रहा कि बीएचयू हो या मंडलीय अस्पताल की लैब, सैंपल की अधिकता के कारण रिपोर्ट आने में सप्ताह भर से अधिक का समय लगने लगा। ऐसे समय में मंडलीय हास्पिटल में बिना जांच रिपोर्ट लक्षण के आधार पर मरीजों को भर्ती कर इलाज की व्यवस्था की गई। ऐसे मरीजों के लिए 30 बेड का इमरजेंसी वार्ड शुरू किया गया जिसे बाद में 110 बेड तक करना पड़ा।
समाजसेवियों ने बढ़ाए सेवा के हाथ
अप्रैल 2021 के मध्य में अचानक कोविड संक्रमण के मामले बढ़े और खपत के सापेक्ष आक्सीजन का इंतजाम नाकाफी साबित होने लगा। अस्पतालों के स्टाक सिलिंडर कम पडऩे लगे। जिला प्रशासन ने आपात स्थिति में प्रयोग के लिए 750 सिलेंडर गुजरात से मंगवाए। वहीं जिला हास्पिटल में आक्सीजन प्लांट स्थापित करने के साथ ही बीएचयू के प्लांट की भी क्षमता बढ़ाई गई। प्रशासन के साथ ही संस्थाओं ने भी घर-घर दवाएं बांटीं।
रहें सावधान
-भीड़ भाड़ वाले आयोजनों से बचें।
-मास्क, शारीरिक दूरी व सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
-जरूरत हो तभी घर से बाहर निकलें।
-अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखें।
-अगर पात्र हैं तो कोरोना टीका जरूर लगवाएं।
- बुजुर्गों और बच्चों का ख्याल रखें।
- बाहर से आने पर घर में घुसने से पहले घर के बाहर अपना हाथ और पैर साबुन से धुलें।
-लक्षण दिखते ही डाक्टर की सलाह लें, जांच कराएं।