वाराणसी में वीरांगना लक्ष्मीबाई की स्मृति में जन्मस्थली पर जले सैकड़ों दीप, दो दिवसीय जयंती समारोह का शुभरम्भ
जागृति फाउंडेशन के तत्वाधान में वीरांगना लक्ष्मीबाई की 185 वी जयंती की पूर्व संध्या पर बुधवार को वाराणसी भदैनी स्थित उनकी जन्मस्थली पर दीपदान कर उनके अमर गाथा को याद किया किया गया। दो दिवसीय समारोह का शुभारम्भ किया गया।
वाराणसी, जेएनएन। जागृति फाउंडेशन के तत्वाधान में वीरांगना लक्ष्मीबाई की 185 वी जयंती की पूर्व संध्या पर बुधवार को भदैनी स्थित उनकी जन्मस्थली पर दीपदान कर उनके अमर गाथा को याद किया किया गया। दो दिवसीय समारोह का शुभारम्भ किया गया। महारानी की स्मृति में जले असंख्य दीप से वीरांगना की जन्म स्थली दीपों की रोशनी से जगमग हो उठी। दीपों को देखकर ऐसा एहसास हो रहा था कि जैसे स्वर्ग से देवता भी जमी पर उतरकर वीरांगना को याद कर रहे है।
मुख्य अतिथि एमएमआईटी के डायरेक्टर इंजीनियर अजय द्धिवेदी,प्रबंधक संगीता द्विवेदी प्राथमिक शिक्षक संघ के महानगर अध्यक्ष राजीव पांडेय एवं बीएचयू की छात्राएं पूजा अवस्थी पूजा मिश्रा, विशिष्ट अतिथि साहित्यकार डॉ जयप्रकाश मिश्र, मदन मोहन मालवीय इंटर कॉलेज के प्राचार्य संजय प्रियदर्शी, जागृति क्लासेज के निदेशक विजय दत्त त्रिपाठी एवं जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र ने संयुक्त रूप से वीरांगना की वीरांगना की स्मृति में प्रथम दीपक जलाकर किया। समारोह की अध्यक्षता रामेश्वर मठ के साधक स्वामी लखन स्वरूप ब्रम्हचारी, प्रबंधक वरूणेश चन्द्र दीक्षित ने किया। इस अवसर पर इंजीनियर अजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि आज महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान की वजह से हमारा देश आजादी की सांस ले रहा है। वीरांगना लक्ष्मीबाई के परम साहस के कारण अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस अवसर पर डॉक्टर जयप्रकाश मिश्र ने कहा कि खूब लड़ी मदार्नी वो तो झांसी वाली रानी थी लेकिन वह काशी की बेटी थी और हमारा फर्ज बनता है कि हम अपनी बेटी को उसकी वीरता के लिए याद करें वहीं जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्र में कहा कि देश की प्रथम महिला वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने स्वतंत्रता की लड़ाई में अंग्रेजो के दांत खट्टे कर दिए और अंग्रेजों को देश छोड़कर भागना पड़ा आज उनकी जयंती की पूर्व संध्या पर हम हमको अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं इस अवसर पर नागेश शांडिल ने कहा कि हमें गर्व है कि महारानी लक्ष्मीबाई हमारे मोहल्ले की बेटी थी और हमलों की बहन थी कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन रामयश मिश्र ने किया। आये हुए अतिथियों का स्वागत दिलीप कुमार पाण्डेय ने किया तथा धन्यवाद विनय कुमार मिश्र ने किया। इस अवसर पर त्रिभूवन नाथ मिश्र, आकाश श्रीवास्तव प्रियांशु जोशी पुष्कर मिश्रा कृष्णमोहन पाण्डेय, ब्रजेश्वर त्रिपाठी, हरीनाथ गौड़ आदि उपस्थित थे।