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आजमगढ़ में नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न, गांवों के संपर्क मार्गों पर बह रहा पानी

भीमभर के समीप रविवार की रात 11 बजे शारदा सहायक खंड-32 नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों बीघा फसल डूब गई। आधा दर्जन गांवों के रास्ते पर दोपहर तक पानी बह रहा था। बारिश की वजह से काफी समय से पूर्वांचल में जलस्‍तर काफी ऊपर हा चुका था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 12:25 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 12:25 PM (IST)
आजमगढ़ में नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न, गांवों के संपर्क मार्गों पर बह रहा पानी
शारदा सहायक खंड-32 नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों बीघा फसल डूब गई।

आजमगढ़, जेएनएन। बिलरियागंज क्षेत्र के भीमभर के समीप रविवार की रात 11 बजे शारदा सहायक खंड-32 नहर का तटबंध टूटने से सैकड़ों बीघा फसल डूब गई। आधा दर्जन गांवों के रास्ते पर दोपहर तक पानी बह रहा था। बारिश की वजह से काफी समय से पूर्वांचल में जलस्‍तर काफी ऊपर हा चुका था। इसके बाद बारिश की वजह से जलजमाव लोग झेल ही रहे थे के अब नहर कटने से भी लोगों की दुश्‍वारी ने सिर उठा लिया है। ग्रामीणों को आने जाने में जहां परेशानी हो रही है वहीं खेतों के डूबने से लोगों के सामने काफी दुश्‍वारी ने सिर उठा रखा है। 

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ग्रामीणों की सूचना पर मजदूरों के साथ पहुंचे अवर अभियंता ने तटबंध मरम्मत की कोशिश शुरू कर दी, लेकिन बहाव इतना तेज था कि पानी नहीं रुक रहा था।मठ विश्वंभर, पड़री परानपुर, जमीन पड़री, भीमबर, बारी, पिपरहा, मऊ कुतुबपुर, ओरा, पतिला गांवों के लोग फसल डूबने से परेशान थे।रास्तों पर इतना पानी भर गया कि आवागमन मुश्किल हो गया।नहर कटने से भीमभर से ब्रह्मस्थान सुंदरपुर जाने वाले मार्ग पर पानी लगने से ब्रह्मस्थान जाने वाले श्रद्धालुओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। आने जाने के साथ ही फसलों के नुकसान का मामला किसानों को दुश्‍वारी दे रहा है। 

कारण कि सोमवार को यहां काफी दूर-दूर से लोग ब्रह्म बाबा के दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं। जेई सोनू चौहान ने बताया कि नहर के पानी को बंद कर बह रहे पानी को मोलनापुर एवं गड़ेरुआ से होते हुए छोटी सरयू नदी की ओर मोड़ दिया गया है। तटबंध की मरम्मत के लिए बोरियों में मिट्टी भरी जा रही थी। उम्मीद है कि शाम तक तटबंध को बांध लिया जाएगा। हालांकि, किसानों का मानना है कि पानी भरने से अब खेत में फसल पूरी तरह से खराब होने की कगार पर हैं। पानी भरने से किसानों को सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।  


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