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आखिरकार कैसे जीत सकेंगे कुपोषण से जंग, मई में बांटी गई जनवरी की दाल और तेल

पांच माह पहले कुपोषित बच्चों व महिलाओं में बंटने वाला पौष्टिक खाद्यान्न अब बंट रहा। जनवरी में मिलने वाली दाल और तेल मई में बांटा गया। मार्च का स्टाक अभी नहीं आया है। ऐसे में इसके जून में बंटने की उम्मीद है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 07:50 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 07:50 AM (IST)
लापरवाही व उदासीनता की वजह से कुपोषण के खिलाफ जंग अधर में दिख रही।

चंदौली, जेएनएन। पांच माह पहले कुपोषित बच्चों व महिलाओं में बंटने वाला पौष्टिक खाद्यान्न अब बंट रहा। जनवरी में मिलने वाली दाल और तेल मई में बांटा गया। मार्च का स्टाक अभी नहीं आया है। ऐसे में इसके जून में बंटने की उम्मीद है। लापरवाही व उदासीनता की वजह से कुपोषण के खिलाफ जंग अधर में दिख रही। कुपोषण के खिलाफ मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की भी मदद ली गई। उम्मीद थी कि महिलाओं को रोजगार मिलेगा। वहीं वास्तविक पात्रों तक योजना पहुंचेगी। बहरहाल ऐसी स्थिति में योजना परवान चढ़ती नहीं दिख रही।

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गर्भवती महिलाओं व बच्चों को फोर्टिफाइड तेल, चना दाल, गेहूं आदि उपलब्ध कराया जाता है। एक माह के अंतराल में स्टाक जिले में पहुंचता है। इसके बाद स्वयं सहायता समूह की महिलाएं व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इसका वितरण करती हैं। हालांकि कोरोना काल में खाद्यान्न व तेल की आपूर्ति गड़बड़ा गई। इसकी वजह से कुपोषण से जंग कमजोर पड़ती दिख रही। विभाग को जनवरी का स्टाक अप्रैल में प्राप्त हुआ। इसका वितरण मई में कराया गया। मार्च का स्टाक अभी तक नहीं आया है। जून में आपूर्ति की उम्मीद है। इसके बाद लाभार्थियों में वितरण किया जाएगा।

कोरोना के चलते नहीं हो पा रहा वजन

कोरोना लाकडाउन में सभी गतिविधियां ठप रहीं। ऐसे में आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के वजन और पुष्टाहार वितरण समेत अन्य कार्य ठप पड़ गए हैं। दरअसल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई हैं। कोरोना काल में घर-घर जाकर कोरोना के संदिग्ध मरीजों को चिह्नित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं पल्स पोलियो टीकाकरण का दायित्व भी सौंप दिया जाता है। ऐसे में विभागीय काम प्रभावित होता है।

जिले में 720 अतिकुपोषित व 4346 कुपोषित बच्चे

जिले में 720 कुपोषित व 4346 अतिकुपोषित बच्चे हैं। इसके अलावा लगभग 30 हजार ऐसे लाभार्थी हैं, जिन्हें ढाई किलो गेहूं, दो किलो दाल, 455 मिलीलीटर तेल का वितरण किया जाता है। जिले में 1823 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। 50 नए आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चों के इलाज के लिए चकिया स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय में 12 बेड का एनआसी (पोषण पुनर्वास केंद्र) बनाया गया है।

बोले अधिकारी : ‘कोरोना के चलते इस बार जनवरी का स्टाक देर से आया। इसके चलते वितरण में भी विलंब हुआ। मार्च का स्टाक अभी नहीं आया है। खाद्यान्न मिलने के बाद जल्द से जल्द लाभार्थियों में वितरित किया जाएगा। -नीलम मेहता, जिला कार्यक्रम अधिकारी। 


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