काशी केदारनाथ मन्दिर पर हाउस टैक्स, क्या यह सच है, अगर हां तो यह अनर्थ किसलिए : शतरुद्र प्रकाश
वाह रे वाराणसी नगर निगम। नगर आयुक्त की जितनी तारीफ की जाए कम है और प्रशंसा का पात्र है जलकल विभाग। केदार बाबा पर जलकर वह भी हजारों में। सपा के वरिष्ठ नेता व एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने मंदिर पर गृहकर व जलकर को लेकर नाराजगी जाहिर की है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। वाह रे वाराणसी नगर निगम। नगर आयुक्त की जितनी तारीफ की जाए कम है और प्रशंसा का पात्र है जलकल विभाग। केदार बाबा पर जलकर वह भी हजारों में। सपा के वरिष्ठ नेता व एमएलसी शतरुद्र प्रकाश ने मंदिर पर गृहकर व जलकर को लेकर नाराजगी जाहिर की है। कहना है कि काशी में केदारेश्वर क्षेत्र का बहुत महत्व है।
केदारघाट पर भवन संख्या बी -6 / 102 में केदारनाथ का पौराणिक मन्दिर है जिसमें खुद प्रगट शिवलिंग स्वरूप शंकर विराजमान हैं । 4.5.2011 को मैंने साथियों सहित वाराणसी नगर आयुक्त को इस मंदिर पर से हाउस टैक्स हटाने को ज्ञापन दिया था किन्तु वह अब भी जारी है। इस बाबत 30 जुलाई 2021 को मैंने पुन : नवागत नगर आयुक्त को ई - मेल ( पत्र ) लिखा है। इस मंदिर का कोई भी भौतिक मूल्य नहीं है। इसके बावजूद वर्ष 2021-2022 के लिए वर्ष 2014-15 को आधार वर्ष मानते हुए इस अनमोल मन्दिर का वार्षिक मूल्य 43092 रुपये निर्धारित करते हुए मार्च 2021 तक ब्याज सहित 40786 रुपये की मांग की है।
श्रीकेदारनाथ के इस पौराणिक मंदिर पर गैर कानूनी हाउस टैक्स लगाने के लिए वाराणसी नगर निगम के कंप्यूटर में भवन संख्या - बी 6/102 को घर ( आवास ) लिख दिया है जबकि इस मंदिर का अस्तित्व वाराणसी नगर निगम तो क्या बनारस नगर पालिका के सैंकड़ों वर्ष पूर्व से है। अंग्रेजी राज में 105 वर्ष पहले बने उप्र नगर पालिका अधिनियम 1916 की धारा 129 ए की उपधारा ( ख ) में भी लिखा है- " किसी भवन या भूमि का या उसका कोई भाग सार्वजनिक उपासना या दानोत्तर प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो उस पर वार्षिक मूल्यांकन के आधार पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगाया जाएगा। ' अब आजाद भारत में बने मौजूदा उप्र नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 177 ( ख ) के अनुसार तो काशी के पौराणिक मंदिर पर कदापि हाउस टैक्स नहीं लगाया जाना चाहिए है।
वाराणसी नगर निगम ने गैर लाइसेंसी कंपनी से जीआईएस करा कर अवैध व पाइरेटेड सेटेलाइट इमेज ली है। जिसमें मंदिर दर्शाने की बजाए आवासीय भवन अंकित दिया गया है।इस बहुत बड़ी गलती को तत्काल दुरुस्त किया जाए। गृह कर के साथ अवैध हजारों रुपये का जलकर भी लगा दिया दिया। नगर नियम अधिनियम 1959 की धारा 177 ( बी ) तथा इसी अधिनियम की धारा 175 ( 2 ) से आच्छादित होने की वजह से यह मन्दिर हाउस टैक्स एंव पानी टैक्स के दायरे से बाहर है । इस पर लगे हाउस टैक्स व जलकर को तत्काल रद किया जाये।