वाराणसी में कांवर यात्रा के साथ 'स्थगित' हो गईं उम्मीदें, मायूस दुकानदारों ने कहा फंस गई लाखों की पूंजी
वाराणसी में सावन मास से वर्ष भर की गृहस्थी चलाने वाले लोगों की उम्मीदें भी अब अगले वर्ष तक के लिए स्थगित हो गई हैं। इससे उनमें मायूसी छाई है। दरअसल सावन में कांवर यात्रा से कई व्यापार जुड़े रहते हैं।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए संत-समाज की अपील पर सरकार ने कांवर यात्रा स्थगित कर दिया है। इसी सावन मास से वर्ष भर की गृहस्थी चलाने वाले लोगों की उम्मीदें भी अब अगले वर्ष तक के लिए स्थगित हो गई हैं। इससे उनमें मायूसी छाई है। दरअसल सावन में कांवर यात्रा से कई व्यापार जुड़े रहते हैं। इसमें कपड़े, खिलौने, खाद्य पदार्थ, पूजन सामग्री, ट्रैवेल सहित कई कारोबार शामिल हैं।
लाखों का माल इस बार भी हो गया डंप
दशाश्वमेध क्षेत्र के पूजन सामग्री कारोबारी विनय यादव बताते हैं कि गत वर्ष भी कांवर यात्रा स्थगित हो गई थी। इस बार भी वैसा ही हाल है। कारोबार की बात करें तो कहते हैं कि यात्रा स्थगित होने से लाखों रुपये की पूंजी फंस गई है। पिछले वर्ष बोल-बम का वस्त्र बिका नहीं तो उम्मीद थी इस बार माल बिक जाएगा। लेकिन सारी उम्मीद धरी की धरी रह गयी। दुकानदार कांता बताते हैं कि प्लास्टिक की बोतल सावन महीने में बेंचकर भोले की कृपा से रसोई चलती थी। गत वर्ष तो पिछले साल की बची हुई कमाई खाए इस बार क्या होगा भोले ही बता सकते हैं।
मेला स्थगित होने से खिलौना बेचने वालों पर संकट
सावन में सारनाथ स्थित सारंगनाथ और दुर्गाकुंड स्थित तुलसी मानस मंदिर में मेला लगता था। यहां करीब सात-आठ सौ लोगों की माह भर जुटान होती थी। इससे चाट-गोलगप्पे, खिलौने, माला-फूल, पूजा के बर्तन विक्रेता सभी जुड़े रहते थे। कोरोना महामारी के तीसरे लहर को देखते हुए जिला प्रशासन भीड़ नहीं उमड़ने देगा। इस कारण मेला भी स्थगित रहेगा। देखा जाए तो सबसे ज्यादा संकट खिलौना दुकानदारों पर है। बातचीत के दौरान भावुक होकर एक दुकानदार कहते हैं कि बैंक से कर्ज लेकर माल मंगाया था। इस बार मुनाफा कमाएंगे। लेकिन कोरोना ने सब चौपट कर दिया। देखते हैं कब तक बाबा परीक्षा लेते हैं।
वाहनों की ज्यादातर बुकिंग रद
टूरिज़्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता और सदस्य संतोष सिंह बताते हैं कि कांवर यात्रा रद होने से लगभग 90 फीसद बुकिंग रद हो गई है। अब तो एडवांस पैसा लौटना ही सबसे बड़ा संकट है। उम्मीद थी कि एक माह अच्छा कारोबार चलेगा। लेकिन अब हम उम्मीद छोड़ दिए हैं।