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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद मानद सदस्यों के हवाले, प्रशासन अब तक नहीं शुरू की जा सकी नामित करने की प्रक्रिया

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद सोमवार को पूरी तरह मानद सदस्यों के हवाले हो गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 31 Dec 2019 12:35 PM (IST)Updated: Tue, 31 Dec 2019 12:35 PM (IST)
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद मानद सदस्यों के हवाले, प्रशासन अब तक नहीं शुरू की जा सकी नामित करने की प्रक्रिया
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद मानद सदस्यों के हवाले, प्रशासन अब तक नहीं शुरू की जा सकी नामित करने की प्रक्रिया

वाराणसी, जेएनएन। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद सोमवार को पूरी तरह मानद सदस्यों के हवाले हो गया। अध्यक्ष आचार्य पंडित अशोक द्विवेदी का कार्यकाल सोमवार को खत्म हो गया तो नामित सदस्यों के पद डेढ़ साल से खाली चल रहे हैैं। खास यह कि बाबा दरबार की लोकतांत्रिक विधायी इकाई माने जाने वाले न्यास परिषद में इस अवधि के दौरान सभी  बैठकों में अध्यक्ष और मानद सदस्यों ने ही महत्वपूर्ण फैसले लिए।

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वास्तव में श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का प्रदेश शासन ने 1983 में अधिग्रहण किया। उस समय ही व्यवस्था संचालन के लिए न्यास परिषद और कार्यपालक समिति का गठन किया गया। विधायी संस्था के तौर पर न्यास परिषद को प्रथा-परंपरा संरक्षण और इस लिहाज से निर्णय लेने का अधिकार दिया गया। वहीं मंडलायुक्त की अध्यक्षता में कार्यपालक समिति को क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी गई। पूर्णकालिक मुख्य कार्य पालक अधिकारी का भी पद दिया गया। हालांकि अब तक ज्यादातर सीईओ उधारी  के ही रहे हैैं जिनके पास मूल रूप से दूसरे विभागों का भी काम होता है।

न्यास में शंकराचार्य व प्रमुख सचिव

न्यास में शृंगेरी शंकराचार्य व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ ही धर्मार्थ-संस्कृति व वित्त विभाग के प्रमुख सचिव, कानून एवं विधि परामर्शी, कमिश्नर, डीएम व सीईओ मानद सदस्य बनाए गए। साथ ही धर्म व कर्मकांड के पांच विद्वानों को बतौर सदस्य तीन-तीन साल के लिए नामित करने का प्रावधान किया गया। पिछली बार चुने गए पांच सदस्यों का कार्यकाल डेढ़ साल पहले खत्म हो गया। वर्ष 2013 से अध्यक्ष आचार्य पं. अशोक द्विवेदी का यह दूसरा कार्यकाल पूरा हुआ है।

भागीदारी के बजाय प्रतिनिधित्व

मानद सदस्यों में श्रृंगेरी शंकराचार्य की ओर से पहले किसी न किसी प्रतिनिधि को भेजा जाता था लेकिन वर्षों से उनकी ओर से यह औपचारिकता भी बंद कर दी गई है। प्रमुख सचिवों में भी यदा-कदा ही किसी का बैठकों में आना होता है। इसकी खानापूर्ति किसी भी स्थानीय अफसरों को बतौर प्रतिनिधि भेज कर पूरी की जाती है। मंडलायुक्त व अध्यक्ष कार्यपालक समिति के दीपक अग्रवाल ने कहा कि अध्यक्ष का पद रिक्त हो गया है। इसके लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जाएगी। हालांकि उनकी जरूरत न्यास की बैठक के समय ही होती है।

विस्तार से लेकर कई नाम चर्चा में

मंदिर न्यास के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद के लिए कई नाम चर्चा में रहे। इसमें पूर्व अध्यक्ष पद्मश्री डा. हरिहर कृपालु त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के साथ पूर्व में न्यास या कार्यपालक समिति सदस्य रहे विद्वानों समेत एक महामंडलेश्वर का भी नाम शामिल रहा। आचार्य पं. अशोक द्विवेदी को भी कार्यकाल विस्तार देने की सप्ताह भर से चर्चा रही।


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