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कुंभ स्नान और कल्पवास नेचुरल इम्युनिटी का सबसे बड़ा स्रोत, 1000 कल्‍पवासियों पर हुआ शोध

कुंभ स्नान और कल्पवास नेचुरल इम्युनिटी आइआइटी- बीएचयू के पूर्व छात्र व वैज्ञानिक डा.वाचस्पति त्रिपाठी ने एक हजार कल्पवासियों पर शोध किया। बीएचयू के इम्यूनोलाजिस्ट प्रो.राकेश सिंह ने भी कहा नेचुरल इम्युनिटी भारत की परंपरागत जीवन शैली में निहित है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 03:19 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 03:31 PM (IST)
कुंभ स्नान और कल्पवास नेचुरल इम्युनिटी का सबसे बड़ा स्रोत, 1000 कल्‍पवासियों पर हुआ शोध
आइआइटी- बीएचयू के पूर्व छात्र व वैज्ञानिक डा.वाचस्पति त्रिपाठी ने एक हजार कल्पवासियों पर शोध किया।

वाराणसी, जेएनएन। आइआइटी-बीएचयू के पूर्व छात्र व वैज्ञानिक डा.वाचस्पति त्रिपाठी ने एक हजार कल्पवासियों पर शोध किया। बीएचयू के इम्यूनोलाजिस्ट प्रो.राकेश सिंह ने भी कहा नेचुरल इम्युनिटी भारत की परंपरागत जीवन शैली में निहित है। कुंभ में स्नान, कल्पवास, अखाड़ों की भजन-संध्या और सधुक्कड़ी जीवन शैली सब कुछ नेचुरल इम्युनिटी का जीता-जागता नमूना है। यह नेचुरल इम्युनिटी जिनके पास है, वे कोरोना को पस्त करने में सक्षम हैं। यह बात अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान ली है।

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वर्ष 2013 में प्रयागराज कुंभ में आइआइटी-बीएचयू के पूर्व छात्र व फार्मास्युटिकल वैज्ञानिक डा. वाचस्पति त्रिपाठी ने एक हजार कल्पवासियों में नेचुरल इम्युनिटी देखी थी, जिनमें वायरस, बैक्टीरिया और फंगस से लडऩे की अभूतपूर्व इम्युनिटी थी। शोध में सभी कल्पवासियों में एक एंटीबाडी विकसित हो चुकी थी। वहीं बीएचयू में बायो टेक्नोलाजी डिपार्टमेंट में इम्यूनोलाजिस्ट प्रो.राकेश सिंह ने भी नेचुरल इम्युनिटी का समर्थन करते हुए कहा कि कुंभ के साथ ही भारत की परंपरागत जीवनशैली नेचुरल इम्युनिटी की बहुत बड़ी स्रोत है। घरों में एयर प्यूरीफायर या फिर एक जगह बंद लाइफस्टाइल ने हमको नेचुरल बैक्टीरिया और वायरस से दूर किया है। इससे हमारी इम्यून सेल सुसुप्तावस्था में पड़ी रहती हैं, जबकि कुंभ जैसे आयोजनों में प्रतिभाग करने से यह सालों-साल बेहद सक्रिय बनी रहती हैं और बाहरी रोगों के प्रति लड़ने में शक्ति प्रदान करती है। 

कल्‍पवास और कुंभ का महत्‍व : सर्दियों के मौसम यानि जनवरी से गंगा तट पर शुरू होने वाले कुंभ और कल्‍पवास में आध्‍यात्मिक जीवन शैली के साथ प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्‍नान और ध्‍यान के साथ ही योग और यम नियम संयम का व्रत पालन करने के साथ ही पैदल रेत पर चलने और कठिन मौसम से संंघर्ष करने के दौरान इंसान का शरीर काफी हद तक अपनी खोई हुई इम्‍युनिटी को आसानी से कुछ ही दिनों में पा लेता है। जीवन शैली के प्राचीन तौर तरीकों को अपनाने के दौरान आध्‍यात्मिक परंपरा का पालन करते हुए इंंसान सुब‍ह सूर्य की किरणों से विटामिन डी भी सहजता से प्राप्‍त करता है। भोजन बनाने और सात्विक रहन सहन से जटिल जीवन शैली शरीर को अन्‍य दुश्‍वारियों से लड़ने में भी मदद ही करता है। वहीं भोजन के तौर पर कंद मूल और फल खाने से खनिज और विटामिन की भी पूर्ति इस दौरान सहजता से हो जाती है। जबकि उत्‍तरायण होता सूर्य शरीर को ओज से परिपूर्ण कर देगा है। 

कुंभ 2021 को समय से पूर्व करना पड़ा था रद : कोरोना संक्रमण के खतरों को देखते हुए इस बार उत्‍तराखंड में आयोजित कुंभ को समय से पूर्व ही खत्‍म करना पड़ा था। कोरोना संक्रमण के कुंभ के दौरान कई मामले सामने आने के बाद सरकार और अखाड़ों की पहल पर समय से पूर्व शाही स्‍नान सहित कई अन्‍य आयोजनों को रद करना पड़ा था। हालांकि, इस दौरान लाखों- करोड़ों लोगों की आयोजन में मौजूदगी के बाद भी मौजूदगी के सापेक्ष कम कोरोना केस को देखते हुए इस महाकुंभ को कोरोना काल में सफल आयोजनों में एक कहा जा सकता है।  


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