वाराणसी में हाईटेक बिजली व्यवस्था के सर्वे पर सवाल, अब नए सिरे से होगा परीक्षण
वाराणसी में भूमिगत लाइन एवं हाइटेक बिजली व्यवस्था के लिए फरीदाबाद के एनपीटीआइ (नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) की सर्वे गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
वाराणसी, [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। पूरे शहर को भूमिगत लाइन एवं हाइटेक बिजली व्यवस्था के लिए फरीदाबाद के एनपीटीआइ (नेशनल पावर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) की सर्वे गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने कई कमियां गिना कर संशोधित सर्वे रिपोर्ट सौंपने को कहा है। साथ ही 33 केवी उपकेंद्र नरिया को मॉडल मानते हुए उसकी वास्तविक स्थिति एवं सर्वे रिपोर्ट की तुलनात्मक जांच करने का भी निर्देश दिया गया है। नगरीय विद्युत वितरण खंड चतुर्थ के अधिशासी अभियंता चंद्रेश उपाध्याय के निर्देशन में उपकेंद्र से जुड़े एक फीडर की जांच भी कर ली गई है। अब इस उपकेंद्र की जांच पर संस्थान के सर्वे का भविष्य भी टिका हुआ है। कारण अगर सर्वे में 50 फीसद गलती मिली तो निरस्त होने का भी खतरा बढ़ सकता है।
दूसरे चरण का कार्य शहर के सात रूटों पर चल रहा
पुरानी काशी में कई साल पहले ही आइपीडीएस के तहत भूमिगत केबल का काम हो चुका है। इससे उन क्षेत्रों में लोकल फाल्ट, लो वोल्टेज एवं बिजली चोरी की समस्या काफी हद तक समाप्त हो चुकी है। इसके बाद दूसरे चरण का कार्य शहर के सात रूटों पर चल रहा है। इसी बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे शहर में भूमिगत केबल डालने का निर्देश दिया है। इसके तहत निगम ने सर्वे का काम एनपीटीआइ को दिया। संस्थान ने सर्वे रिपोर्ट जून में ही सौंप दी, लेकिन इसपर अभी तक मंथन ही चल रहा है। पिछले सप्ताह मुख्य अभियंता कार्यालय में हुई बैठक में सर्वे रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े कर दिए। कहा गया कि कम से कम एक उपकेंद्र को मॉडल के रूप में जांच की जाए। इसके तहत अगर 80 फीसद तक भी अगर सर्वे रिपोर्ट सही रही तो आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। वरना अगर 50 फीसद तक गलती निकलती तो असमंजस की स्थिति आ सकती है। नरिया के साथ ही नगरीय विद्युत वितरण मंडल क्षेत्र के दौलतपुर उपकेंद्र की भी जांच कराई जा रही है।
सर्वे रिपोर्ट 80 प्रतिशत से अधिक सही पाई गई तो आगे की कार्रवाई होगी
नगरीय विद्युत वितरण मंडल, द्वितीय के अधीक्षण अभियंता दीपक अग्रवाल का कहना है कि एनपीटीआइ की सर्वे रिपोर्ट में कमियां हैं। इसे ठीक करने के लिए कहा गया है। इसी के तहत नरिया उपकेंद्र की जांच कराई जा रही है। अगर सर्वे रिपोर्ट 80 प्रतिशत से अधिक सही पाई गई तो आगे की कार्रवाई होगी। अगर 50 फीसद से अधिक गलती मिलती है तो सर्वे रिपोर्ट के निरस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। एक आइटम पर अधिकतम 20 और कुल सर्वे में 10 प्रतिशत तक ऊपर-नीचे हो सकता है।
उपभोक्ता का पूरा विवरण नहीं लिया गया
नगरीय विद्युत वितरण खंड, चतुर्थ के अधिशासी अभियंता चंद्रेश उपाध्याय का कहना है कि संस्थान द्वारा किए गए सर्वे में कई कमियां पाई गई हैं। उपभोक्ता का पूरा विवरण नहीं लिया गया है। नरिया उपकेंद्र के फीडर गंगा प्रदूषण, सरायनंदन, भगवानपुर व गांधीनगर की जांच की जा रही है। केबल पर रिसर्च चल रहा। 25 जुलाई तक संशोधित रिपोर्ट आने पर फिर साइट पर जांच कराई जाएगी।
सर्वे में कमियां
- आगामी वर्षों के लिए 50 प्रतिशत तक लोड अधिक देना होगा।
- नए व क्षमता वृद्धि की चाहिए, जिसमें नए जगह की डिजाइन नहीं है।
- ट्रांसफार्मर के लोड को आधार मानकर सर्वे हुआ, जबकि उपभोक्ता का भी लोड शामिल होना चाहिए।
- ओपेन ट्रेंच व एचडीडी को विस्तार से नहीं बताया गया है।
- सामान जो उतरेगा उसका आंकड़ा नहीं दिया गया है।
- कई जगह पहले से एबी केबिल है, लेकिन सर्वे में शून्य दिखाया गया है।
- किसी सिटी या उपकेंद्र का मॉडल प्रस्तुत नहीं किया गया है।