सवारी नाव पर, जिंदगी दांव पर... इधर रस्सी छूटी और उधर जीवन की डोर
गाजीपुर के खानपुर में गोमती नदी में आई बाढ़ के चलते लोगों का जीवन संकट में आ गया है।
गाजीपुर : गाजीपुर के खानपुर में गोमती नदी में आई बाढ़ के चलते सैदपुर क्षेत्र के गौरहट व तेतारपुर के लोगों का मुख्य मार्ग तक आने का साधन नाव ही रह गया है। मगर उफनते बाढ़ के पानी में यह नाव भी रस्सियों के सहारे ही संचालित की जा रही हैं। आलम यह है कि इधर रस्सी छूटी और उधर जीवन की डोर। गोमती नदी के जलस्तर में बाढ़ से जनपद के अंतिम छोर पर स्थित गौरहट, तेतारपुर व गौरी गाव में परेशानी बढ़ गई है।
तीन तरफ से घिरे गौरहट तेतारपुर गांव का संपर्क मार्ग अब तक नहीं टूटा है। यहा के लोगों को मुख्य मार्ग से जुड़ने के लिए 12 किमी दूर खानपुर आना पड़ता है या नाव से गोमती नदी पार कर दो किमी दूर धौरहरा जाना पड़ता है। बाढ़ में नदी का जलस्तर बढ़ने से नाव चलाना इतना आसानी नहीं रह गया है इसलिए धौरहरा से गौरहट तक रस्सी बाधकर उसी के सहारे नाव ले जाया जा रहा है।
वैसे इस गाव के लोग बारहों मास एकमात्र नौका के सहारे गौरहट तेतारपुर से धौरहरा जाते हैं। जलस्तर बढ़ जाने से सुरक्षा की दृष्टि से रस्सी के सहारे नाव ले जाया जा रहा है लेकिन रस्सी टूटने पर बड़ा हादसा हो सकता है। गाजीपुर के गौरहट व वाराणसी के ढुढ़आ घाट पर इस इकलौती नाव से नियमित रूप से कर वसूल किया जाता है। अब तक गाव में न तो इंजन चालित नाव लगायी गई हैं और न ही गोताखोर हैं। बुजुर्ग, महिलाओं व बच्चों को रस्सी के सहारे नाव से नदी पार कराने में जान जाने का खतरा मंडरा रहा है।
तैयार है इंजन चालित नाव
गौरहट तेतारपुर गाव अभी बाढ़ के खतरे से दूर है। नदी का पानी खतरे के निशान तक नहीं पहुंचा है। वैसे वहा बारहों माह नाव के सहारे लोग नदी पार करके धौरहरा जाते हैं। बहरहाल इंजन चालित नाव तैयार है। खतरे के निशान तक पहुंचने से पहले ही वहा नाव लगवा दिया जाएगा। -दिनेश कुमार, तहसीलदार, सैदपुर।