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कैमूर वन्य जीव के जंगलों से गायब हो रहीं जड़ी-बूटियां, जंगलों के कटान से समाप्त हो रहीं औषधियां

विंध्याचल मंडल के जंगलों की तेजी से कटान होने के चतले दो जनपदों में पैदा होने होने वाली जड़ी बूटी धीरे धीरे गायब हो रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 05:32 PM (IST)Updated: Wed, 19 Feb 2020 05:32 PM (IST)
कैमूर वन्य जीव के जंगलों से गायब हो रहीं जड़ी-बूटियां, जंगलों के कटान से समाप्त हो रहीं औषधियां
कैमूर वन्य जीव के जंगलों से गायब हो रहीं जड़ी-बूटियां, जंगलों के कटान से समाप्त हो रहीं औषधियां

मीरजापुर, जेएनएन। विंध्याचल मंडल के जंगलों की तेजी से कटान होने के चतले दो जनपदों में पैदा होने होने वाली जड़ी बूटी धीरे धीरे गायब हो रही है। यहीं कारण है कि पिछले दस सालों में इनके उत्पाद में 75 प्रतिशित की गिरावट आई है। जबकि इससे पहले सौ प्रतिशित की पैदावार होती थी, लेकिन वर्तमान समय में 25 प्रतिशत की पैदा हो रही है। समय रहते इनपर ध्यान नहीं दिया तो यह जंगलों से पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी।

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जनपद के पटेहरा में करीब 15 साल पहले हर्रा बहेरा व मरोफली नामक जड़ी बूटी भारी मात्रा में पैदा होती थी। ये जड़ी बूटिया सोनभद्र के पमौरा व चिचलिक में भी होती है। जंगलों से भारी मात्रा में पैदा होने वाली इन जड़ी बूटियों को जुटा कर गोदाम में रखा जाता था। जिसे बाद में वाराणसी भेज दिया जाता था। वहां की मंडी के माध्यम से इनको थोक भाव में बेच दिया जाता था। जिसेे बाद में व्यापारियों के माध्यम से खुदरा बाजार तक पहुंचाया जाता था। जिससे वन विभाग को प्रतिवर्ष दस लाख रुपये तक की आय होती थी लेेकिन वर्तमान समय में जंगलों की तेजी से हो रहे कटान के चलते इन औषधि की पैदावार में काफी कमी आई है। वर्तमान समय में इसकी स्थिति काफी खराब हो गई है। इस समय लगभग 25 प्रतिशित ही इनकी पैदावार हो रही है।

क्या होते हैं इनसे फायदे

हर्रा बहेरा व मरोफली पेट के लिए काफी फायदे मंद होती है। इसका इस्तेमाल चूरन बनाने में किया जाता है। जो बाजार में काफी महंगा मिलता है। इन बूटियों से बनाए गए चूरन का सेवन करने से पेट को काफी लाभ पहुंचना बताया जाता है।

पहले कितनी होती थी पैदावार

करीब 15 साल पहले हर्रा बहेरा व मरोफली की पैदावार काफी होती थी। मीरजापुर और सोनभद्र मिलाकर दो सौ कंतुल पैदावार थी। लेकिन इनके संरक्षण में कमी आने के कारण यह धीरे धीरे समाप्त होती जा रही है।

जंगलों में चोरी छिपे कटान के चलते उत्पाद में आ रही कमी

जड़ी बूटियों के संरक्षण पर ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से जंगलों में चोरी छिपे हुई कटान के चलते इनके उत्पाद में कमी आ रही है। दूसरा कारण प्रदूषण भी है। जिससे पेड़ पौंधे धीरे धीरे सूखते जा रहे हैं।

एनके शुक्ला, प्रभागीय लौंगिंग प्रबंधक।


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