बलिया जिले में गंगा हुईं 'बागी', कस्बों और गलियों में चली नाव तो गांवों में बाढ़ बनी आफत Ballia news
बागी बलिया में इस बार गंगा की लहरों ने मानाे बगावत कर रखी है। चारों ओर हर-हर करती गंगा की लहरों से क्या गांव क्या कस्बा और क्या खेत और खलिहान कोई भी नहीं बच सका है।
बलिया, जेएनएन। बागी बलिया में इस बार गंगा की लहरों ने मानाे बगावत कर रखी है। चारों ओर हर-हर करती गंगा की लहरों से क्या गांव, क्या कस्बा और क्या खेत और खलिहान कोई भी नहीं बच सका है। गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण दुबेछपरा, गोपालपुर, उदईछपरा, प्रसाद छपरा सहित एक दर्जन गांवों के हालात काफी खराब है। उदईछपरा के तीन लोगों का मकान गंगा के लहरों में बुधवार की सुबह समा गए वहीं निरन्तर गांव की तरफ कटान और तेज गति से बढ़ने लगा है।
पानी में घिरे लोगों के पास जरूरी वस्तुओं का अभाव हो गया है वहीं प्रशासन की ओर से राहत और बचाव के नाम पर एनडीआरएफ की सेवा के अलावा कोई भी कार्य धरातल पर नहीं चल रहा है। नौका, भोजन के पैकेट दवाइयों का घोर अभाव होने की वजह से अब प्रभावित इलाकों में दुश्वारियों ने सिर उठाना शुरू कर दिया है।प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 घंटे के भीतर लोगों को मुआवजा सहित सभी प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने का आदेश जिला प्रशासन को मंगलवार को दिया था किंतु उस आदेश पर जिला प्रशासन अभी तक अमल नहीं कर सका है।
रिंग बंधे पर शरण लिए कटान व बाढ़ पीड़ितों के लिए अनवरत हो रही बारिश दूसरी ओर कोढ़ में खाज बनी हुई है। अभी तक बाढ़ पीड़ितों के लिए कहीं स्थाई शिविर भी नही बनाया जा सका है जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हों। अवशेष बचे रिंगबन्धा को बचाने में बुधवार को भी बाढ़ विभाग लगा रहा। प्लास्टिक के जाल में पत्थर के बोल्डर डालकर कटान रोकने का प्रयास जहां जारी है वहीं गांव के लोग भी प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपने गांव का अस्तित्व बचाने में लगे हुए हैं। हालांकि हाैसला हार चुके लोगों के अनुसार अवशेष रिंगबंधा बचे या ना बचे अब इसका कोई औचित्य नहीं है। मौके पर मौजूद एसडीएम व तहसीलदार को बार बार पीड़ितों का आक्रोश झेलना पड़ रहा है। दोनों अधिकारी बाढ़ पीड़ितों काे बस अाश्वासनों का घूट पिला कर उन्हें शांत करने का असफल प्रयास कर रहे हैं।