वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में अंजुमन इंतजामिया और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर सुनवाई टली
ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई टल गई। अधिवक्ताओं द्वारा न्यायिक कार्य का बहिष्कार करने के कारण जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी ने अग्रिम सुनवाई के लिए पांच अगस्त की तिथि मुकर्रर कर दी।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर गुरुवार को सुनवाई टल गई। अधिवक्ताओं द्वारा न्यायिक कार्य का बहिष्कार करने के कारण जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी ने अग्रिम सुनवाई के लिए पांच अगस्त की तिथि मुकर्रर कर दी। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी के निर्णय के खिलाफ जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर कर रखी है।
बता दें कि वर्ष 1991 में प्राचीन मूॢत स्वयंभू ज्योतिॄलग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा-पाठ करने के अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया था। सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) न्यायालय के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई। इनकी ओर से दलील दी गई थी कि वक्फ न्यायाधिकरण के गठन के बाद उक्त मामले की सुनवाई का सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत को क्षेत्राधिकार नहीं है। इस पर वादी पक्ष की ओर से आपत्ति जताई गई कि उक्त विवादित परिसर स्वयंभू ज्योतिॄलग भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर का अंश है। सिविल जज ने दोनों पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात 25 फरवरी 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि मुसलमानों के मध्य विवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार वक्फ न्यायाधिकरण को है जबकि गैर मुस्लिम के स्वत्व की सुनवाई का क्षेत्राधिकार सिविल कोर्ट को है।