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वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में दो नए वादों की पोषणीयता पर सुनवाई आज, चार मुकदमे पहले से हैं लंबित

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित आदि विश्वेश्वरनाथ ज्योर्तिलिंग और नंदी महाराज की ओर से पक्षकारों द्वारा दायर दो नए वादों की पोषणीयता पर गुरुवार को अदालत में सुनवाई की जाएगी। ज्ञानवापी के तहखाने में भगवान आदि विश्वेश्वर आज भी विद्यमान हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 06:10 AM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 06:10 AM (IST)
वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में दो नए वादों की पोषणीयता पर सुनवाई आज, चार मुकदमे पहले से हैं लंबित
पक्षकारों ने ज्ञानवापी का संपूर्ण क्षेत्र संपूर्ण ज्योर्तिलिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ का बताया!

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर स्थित आदि विश्वेश्वरनाथ ज्योर्तिलिंग और नंदी महाराज की ओर से पक्षकारों द्वारा दायर दो नए वादों की पोषणीयता पर गुरुवार को अदालत में सुनवाई की जाएगी। भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ की ओर से भंडारी गली, बांसफाटक निवासी महंत शिव प्रसाद पांडेय हरियाणा प्रांत निवासी सुबे सिंह यादव और नेवादा निवासी संतोष कुमार सिंह ने 14 सितंबर को यह वाद सिविल जज की अदालत में दायर किए। श्री नंदी महाराज की ओर से मीरघाट निवासी सितेंद्र चौधरी, पटना निवासी अखिलेश कुमार दूबे, विनोद यादव व सारनाथ निवासी रविशंकर द्विवेदी ने वाद दाखिल किया है। दोनों ही वाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन व पंकज कुमार वर्मा के जरिए दायर किए गए हैं। दोनों वादों में पक्षकारों द्वारा कहा गया है कि ज्ञानवापी का संपूर्ण क्षेत्र संपूर्ण ज्योर्तिलिंग भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ का है। वेद, पुराणों में इसकी प्रामाणिकता वर्णित है। मुगल शासक औरंगजेब द्वारा मंदिर को तोड़ कर मस्जिद बना दिया गया।

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ज्ञानवापी के तहखाने में भगवान आदि विश्वेश्वर आज भी विद्यमान हैं। परिसर में सदियों से विद्यमान श्री नंदी महाराज का भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ से साक्षात्कार कराने के लिए उनके मूल स्थान पर नए मंदिर का निर्माण कराने की मांग की गई है।

चार मुकदमे पहले से हैं लंबित

 ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को पं. सोमनाथ व्यास और अन्य ने 15 अक्टूबर 1991 को सिविल जज की अदालत में वाद दायर किया था। सुनवाई के दौरान मुकदमें में कई उतार चढ़ाव आये। इसको लेकर पक्षकारों में कानूनी दांवपेंच जारी है। वर्तमान में इस मुकदमे की सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत में लंबित है। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) की अदालत ने आठ अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। फिलहाल हाईकोर्ट ने इस मुकदमे (मुकदमा संख्या 610 सन 1991) की अग्रिम सुनवाई पर रोक लगा दी है।

- सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताद्वय हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री व अन्य ने काशी विश्वनाथ के मूल मंदिर स्थान, भगवान आदि विश्वेश्वरनाथ और देवी श्रृंगार गौरी समेत अन्य देवों की अनवरत सेवा पूजा का अधिकार बहाल किए जाने की मांग करते हुए 18 फरवरी 2021 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दायर किया है।

- महाराष्ट्र प्रांत निवासी सुरेश चह्वान ने आदि विश्वेश्वरनाथ को अपना आराध्यदेव बताते उनकी पूजा करने और उनपर जल अॢपत करने का अधिकार देने की मांग करते हुए 19 मार्च 2021को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दायर किया।

- नई दिल्ली निवासिनी राखी सिंह और उनके साथ की अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा-अर्चना करने एवं परिसर में स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखने की मांग करते हुए 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में वाद दायर किया था।


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