हृदय से 'भजन' व 'मंत्र' का सुमिरन करें, होगा ईश्वर दर्शन : स्वामी अड़गड़ानंद
स्वामी अड़गड़ानंद जी शनिवार की दोपहर करधना गांव स्थित परमहंस आश्रम में हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित सत्संग में भक्तो को आशीर्वचन दे रहे थे।
जेएनएन, वाराणसी । स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने कहा कि ईश्वर एक है। वह सर्वत्र विद्यमान है, पर उसका दर्शन गुरुकृपा से ही संभव है। परमात्मा ही सत्य और कर्म ही धर्म है। ईश्वर के दर्शन हेतु मनुष्य को अपने हृदय से 'भजन' व 'मंत्र' का सुमिरन करना होगा। 'भजन' व 'मंत्र' एक महान मणि औषधि है। मन अंतर से 'मंत्र' बना है और 'भजन' का उतार चढ़ाव स्वास से है। इससे मानव जीवन के निर्गुण दूर होते है। हृदय में भगवान राम के नाम का मणिदीपक जला सत्संग के नाव पर सवार होने से मानव जीवन धन्य बनता है।
स्वामी अड़गड़ानंद जी शनिवार की दोपहर करधना गांव स्थित परमहंस आश्रम में हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित सत्संग में भक्तो को आशीर्वचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य की केवल दो जाति होती है।देवता और असुर।जिनके हृदय में दैवी सम्पद कार्य करती जी वह देवता है तथा जिनके हृदय में आसुरी सम्पद कार्य करती है वह असुर है।तीसरी अन्य कोई जाति नही है।दुर्लभ मानव तन पाने के बाद भी इंसान मोह-माया में फंस भटक रहा है। मानव जीवन को धन्य बनाने हेतु इंद्रियों को वश में कर दो अक्षर के 'राम' व 'ऊं' नाम का जप कर मन से सुमिरन कर मन को मतवाला बनाओ। भजन परमात्मा का ही गीत है उसे समर्पित भाव से करने पर दुर्गुण दूर होते है।गीता के पाठ का मात्र अध्यन करने से मनुष्य के सभी पाप कट जाते है।परमात्मा का प्रत्यक्ष दर्शन ही ज्ञान होता है।हृदय के अंदर परमात्मा का दर्शन सदगुरु ही कराता है।मनुष्य को चाहिए कि वह गीता का पाठ कर कर्म करे।
स्वामी जी ने राम के प्रति हनुमान की भक्ति की व्याख्या करते हुए कहा कि हनुमान द्वारा लाई गई संजीवनी से राम के भाई लक्ष्मण को नया जीवन मिला।हनुमान का नाम स्मरण करने मात्र से भूत-प्रेत दूर भाग जाते है।
यथार्थ गीता के पुस्तक को काफी कम दर पर उपलब्ध कराने हेतु स्टाल लगा रहा।
इस अवसर पर आयोजित भंडारे में हजारो महिला-पुरुष भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।गुरु के दर्शन के लिए भक्तो का रेला उमड़ा था।आश्रम परिसर के आस-पास वृहद मेला लगने के साथ आकर्षक दुकाने सजी रही।चंहुओर भक्तों की भीड़ ही नजर आ रही थी।सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस फोर्स लगी रही।अग्निशमन वाहन भी मौजूद रहे। सत्संग में राकेश महाराज, तुलसी महाराज, वरिष्ठानन्द महाराज, सोहन महाराज, तानसेन महाराज समेत अन्य मौजूद रहे।