Ghazipur के दिलदारनगर में स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद, जर्जर सड़कें व गंदगी से भी लोग परेशान
गाजीपुर के दिलदारनगर में चेयरमैन एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण नगरवासियों की उम्मीद पर पानी फिर गया। समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं। जर्जर सड़कें गंदगी कूड़ा निस्तारण सरकारी अस्पताल का न होना जलनिकासी अतिक्रमण से सिमटती सड़कें पार्क नगर की पहचान बनी हुई है।
गाजीपुर, जेएनएन। वर्ष 1995 में दिलदारनगर को नगर पंचायत का दर्जा मिला तो नगरवासियों में उम्मीद जगी की अब नगर का तेजी से विकास होगा और विभिन्न नागरिक सुविधाएं मिलेंगी, लेकिन चेयरमैन एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण नगरवासियों की उम्मीद पर पानी फिर गया। समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं। जर्जर सड़कें, गंदगी, कूड़ा निस्तारण, सरकारी अस्पताल का न होना, जलनिकासी, अतिक्रमण से सिमटती सड़कें, पार्क नगर की पहचान बनी हुई है।
स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद
दिलदारनगर नगर पंचायत की आबादी 15 हजार से अधिक होने के बाद भी यहा एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है। ऐसे में नगर के लोगों को प्राइवेट अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है। नगर से दो किमी की दूरी पर थाना के नवीन प्राथमिक स्वाथ्य केंद्र तो है लेकिन वहां कोई सुविधा नहीं होने से नगरवासियों को 12 किमी दूर जमानियां या सात किमी दूर सेवराई उपचार के लिए जाना पड़ता है। सर्वाधिक परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है।
अतिक्रमण से सिमट रहीं सड़कें
नगर पंचायत को अगर अतिक्रमण का नगर कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अतिक्रमण के वजह से बाजार की सड़कें दिन प्रतिदिन सिमटती जा रही हैं। इससे जाम का झाम भी बढ़ता जा रहा है। नगर के मुख्य मार्ग, सब्जी मंडी सड़क, स्टेशन रोड पर यह समस्या गंभीर बनी हुई है। सड़क के किनारे गाड़ी खड़ी करने से जाम की स्थिति बनी रहती है जिससे कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं, लेकिन इस समस्या से निदान के प्रति नगर पंचायत उदासीन बना हुआ है।
जलनिकासी की समस्या अहम
नगर में जलनिकासी की समस्या सबसे जटिल है। यह समस्या वर्ष 1995 से ही बनी हुई है। इसको दूर करने का वादा जनप्रतिनिधि सहित चेयरमैन ने किया लेकिन कोई भी इस वादा पर खरा नहीं उतरा। बारिश के मौसम में नगर के 11 वार्ड झील में तब्दील हो जाते हैं। नगरवासी करे भी तो क्या? वह भी इस जटिल समस्या का निदान नहीं होना मान बैठे हैं। नगर का गंदा पानी रजवाहा में गिरता है।
कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था नहीं
नगर पंचायत में कूड़ा निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। नगर से निकलने वाला कूड़ा नगर में ही खाली पड़ी जमीन तथा सड़कों के किनारें फेंक दिया जाता है। इससे उठने वाला दुर्गंध से नागरिकों की सेहत भी खराब होती है। कूड़ा सड़कों के किनारे फेंकने से स्वास्थ्य भारत स्वच्छ भारत का अभियान भी नगर में बेअसर साबित हो रहा है। नगर के लोग गंदगी के बीच रहने को लेकर अपनी नियति मान बैठे हैं।
जर्जर सड़कें बनी नगर की पहचान
नगर पंचायत में सड़कों की स्थिति खस्ताहाल है। यूनियन बैंक के सामने से फतेहपुर को जाने वाली सड़क पर केवल ईंट के टुकड़े पड़े हैं। उबड़-खाबड़ सड़क पर ही वार्डवासी आवागमन करने को मजबूर हैं। यही हाल शकुंतला नगर से स्टेशन को जाने वाली इंटरलाङ्क्षकग सड़क का भी है। नगर का मुख्य मार्ग भी जर्जर हो गया है। इसके अलाव कई गलियों में जाने वाली सड़कों की स्थिति तो बेहद खराब है। नगरवासी जर्जर सड़क पर आवागमन करने को मजबूर है।
एक अदद पार्क नहीं
नगर पंचायत में एक भी पार्क नहीं है। ऐसे में नगर के बच्चे मनोरंजन के लिए कहां जाय यह एक बड़ा सवाल है। बच्चे आदर्श विद्यालय के पीछे स्थित मैदान में खेलते-कूदते हैं। नगरवासियों द्वारा कई बार पार्क की मांग नगर पंचायत से की गई फिर भी आज तक नगर को पार्क नहीं मिल सका। नगर के जितेंद्र चौरसिया, बब्बन गुप्ता, अजित गुप्ता, श्रवण गुप्ता आदि ने कहा कि नगर में स्वच्छता अभियान बेअसर साबित हो रहा है। नगर में जगह जगह फैली गंदगी से नगरवासियों को भारी परेशानी हो रही है। कहने को तो दिलदारनगर नगर पंचायत है। लेकिन यह नागरिक सुविधाओं का घोर अभाव है। जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से बरसात के मौसम में नगर की सड़कें झील में तब्दील हो जाती है्ं। नगर में सड़कों की हालत ग्रामीण क्षेत्रों से भी बदतर है।
क्या बोले अधिकारी
नगर पंचायत में विभिन्न नागरिक सुविधाएं बढ़ेगी। कूड़ा निस्तारण के लिए उसियां ग्राम पंचायत में जमीन मिली है। जलनिकासी के लिए नगर विकास मंत्रालय को पत्रक दिया गया है। जर्जर सड़कों की मरम्मत व निर्माण कार्य भी जल्द होगा। पूर्व के चेयरमैन ने क्या किया इस पर मुझे ध्यान नहीं देना है। नगर का विकास कैसे होगा मैं इसी दिशा में तेजी से कार्य कर रहा हूं।
- अविनाश जायसवाल, चेयरमैन, दिलदारनगर नगर पंचायत