बेलगाम अपराधी : तीन साल और 47 हत्याओं की हैट्रिक, शराब तस्करी और भर्ती घोटाले ने लगाए खाकी पर दाग
वर्ष 2017 18 और 2019 में हत्या के मामले समान अंक में हैं। एक तरह से कहें तो इन तीनों वर्ष में हैट्रिक लगी है।
वाराणसी [विनय सिंह] । धर्म-साहित्य व संगीत की नगरी काशी में हत्या को लेकर रिकार्ड बनना सुनने में जरा अजीब लग रहा, मगर यहां वर्ष 2017, 18 और 2019 में हत्या के मामले समान अंक में हैं। एक तरह से कहें तो इन तीनों वर्ष में हैट्रिक लगी है। इसे संयोग कहें या पुलिस के हाइटेक होने के बाद अपराधियों द्वारा दी गई उसे चुनौती। कुछ भी हो लेकिन, पुलिस हत्या की घटनाओं पर अंकुश लगाने में पूरी नाकाम है। यही नहीं घटनाओं को उजागर करने में भी वह बैकफुट पर नजर आ रही। कई घटनाओं को पुलिस अब तक उजागर नहीं कर सकी है।
इस साल ऐसी कई वारदातें हुईं जिन्होंने पूरे जिले को दहला दिया। अब तक 47 हत्याएं हो चुकी हैं। पुलिस को हाइटेक बनाने के लिए सरकार ने तमाम सुविधाएं दी हैं। इसके बावजूद शहर में ताबड़तोड़ हुई घटनाएं ऐसी हैं जो पुलिस के लिए अब भी चुनौती बनी हैं। सराफा हत्या मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए भले ही अपनी पीठ थपथपाई, मगर कई मामलों की फाइल अभी दबी ही है। हालांकि, पुलिस ने विभिन्न मामलों के 2097 आरोपितों को इस साल गिरफ्तार किया है, लेकिन हत्या, लूट, ठगी जैसे गंभीर अपराधों में वह अंधेरे में ही तीर चला रही है।
हत्या के दो चर्चित मामले, जिनका नहीं हुआ खुलासा
30 सितंबर को शिवपुर थाना क्षेत्र में सदर तहसील परिसर में ठीकेदार नितेश सिंह बबलू की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले को तीन माह हो गए हैं, लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी पुलिस मामले को उजागर नहीं कर सकी है।
वहीं 26 अक्टूबर को सारनाथ के भसौड़ी गांव के सामने अज्ञात बदमाशों ने सराफा कारोबारी रवींद्र सेठ पर हमला कर दिया। वहां से जा रहे कमलेश यादव ने बदमाशों का विरोध किया तो उसे गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। इस मामले में भी आरोपित पुलिस की पकड़ से दूर हैं।
वर्दी पर लगे दाग
शराब तस्करों से मिलकर तस्करी करने में रामनगर थाने के सिपाहियों का नाम आया तो पुलिस अधिकारियों के पैर तले जमीन खिसक गई। जांच के बाद तीन सिपाहियों को निलंबित करते हुए जेल भेजा गया था। तत्कालीन थाना प्रभारी अनूप शुक्ला को निलंबित कर दिया गया। पूरे वर्ष कुल 120 पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की गई। इसके साथ ही उत्तर प्रदेशलोकसेवा आयोग की एलटी ग्रेट शिक्षक भर्ती, पीएसी आरक्षी भर्ती के री-मेडिकल टेस्ट और सिपाही भर्ती धांधली ने भी वर्दी पर दाग लगाए।