Gyanvapi-Vishwanath temple complex पुरातात्विक सर्वेक्षण की अगली सुनवाई कल, अंजुमन इंतजामिया मस्जिद ने रखा पक्ष
ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की प्रतिवादी (अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी तथा अन्य) की आपत्ति पर वादी पक्ष ने सोमवार को अपना पक्ष रखा।
वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी-विश्वनाथ मंदिर परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की प्रतिवादी (अंजुमन इंतजामिया मस्जिद, वाराणसी तथा अन्य) की आपत्ति पर वादी पक्ष ने सोमवार को अपना पक्ष रखा। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए चार फरवरी की तिथि मुकर्रर की है। ज्ञानवापी स्थित प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विशेश्वरनाथ की ओर से दाखिल वाद की सुनवाई सिविल जज (सीनियर डिवीजन-फास्टट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत में चल रही है। सोमवार को सुनवाई के दौरान वादी पक्ष (प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर) ने प्रतिवादी की आपत्ति पर अपना पक्ष रखा। वादी पक्ष के अधिवक्ता सुनील कुमार रस्तोगी ने उक्त मामले में हाईकोर्ट में चले सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा कि हाईकोर्ट द्वारा वर्तमान में मुकदमे की सुनवाई को स्थगित रखने का कोई आदेश नहीं दिया गया है। मुकदमे की कार्यवाही को अनावश्यक रूप से बाधित करने के लिए प्रतिवादी पक्ष की ओर से प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है।
बता दें कि प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विशेश्वर व अन्य के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास तथा अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओ को पूजा पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया था। वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने दस दिसंबर 2019 को इस आशय का प्रार्थना पत्र अदालत में प्रस्तुत किया कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वैवरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है। बारह प्रमुख ज्योर्तिलिंगों में से यह एक है। इसका धार्मिक स्वरुप तय करने के लिए संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल के संबंध में भौतिक तथा पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा राडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगाई जाए।
विगत 21 जनवरी को सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की ओर से आपत्ति दाखिल की गई कि थी उक्त मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई पर रोक लगा रखी है जो अब तक प्रभावी है। हाईकोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में मुकदमे की कार्यवाही को स्थगित किया जाए। यह भी दलील दी गई कि स्थानीय सर्वेक्षण वहीं हो सकता है जहां पर विवादित संपत्ति के संबंध में कोई अनिश्चितता हो अथवा निष्कर्ष निकालने में परेशानी हो तो उस स्थिति में अदालत वकील-कमिश्नर से आख्या मंगवा सकती है।सिविल प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत किसी भी संपत्ति के संबंध में अदालत अपनी व्यवस्था के अलावा किसी अन्य विभाग से रिपोर्ट नहीं मंगवा सकती। मस्जिद स्थित न होने के संबंध में कोई विवाद नहीं है। प्रार्थना पत्र के माध्यम से वादी पक्ष साक्ष्य एकत्रित करना चाहते हैं जो कानूनन संभव नहीं है। ऐसे में वादमित्र का प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाये।