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Guru Poornima : तीन-तीन गुरुओं की मिली कृपा, ये सभी मेरे प्रेरणा स्रोत : पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र

पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र अपनी जीवन यात्रा के तीन गुरुओं को गुरु पूर्णिमा पर स्मरण करना नहीं भूलते। बचपन से अब तक जो कुछ मिला वह इन गुरुओं की ही देन है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 11:55 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 01:14 PM (IST)
Guru Poornima : तीन-तीन गुरुओं की मिली कृपा, ये सभी मेरे प्रेरणा स्रोत : पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र
Guru Poornima : तीन-तीन गुरुओं की मिली कृपा, ये सभी मेरे प्रेरणा स्रोत : पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र

वाराणसी [राजेश त्रिपाठी]। पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र अपनी जीवन यात्रा के तीन गुरुओं को गुरु पूर्णिमा पर स्मरण करना नहीं भूलते। कहते हैं कि इसे ईश्वरीय देन मानता हूं कि मुझ पर तीन-तीन गुरुओं की कृपा रही। बचपन से अब तक जो कुछ मिला, वह इन गुरुओं की ही देन है। ये गुरु हैं, उस्ताद अब्दुल गनी खां ने ख्याल व टप्पा गायकी सिखाई। दूसरे आध्यात्मिक गुरु मौनी बाबा और तीसरे शास्त्रीय गुरु पद्मभूषण ठाकुर जय देव सिंह हैं। ये गुरु ही मेरे प्रेरणा स्रोत हैं।

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उस्ताद अब्दुल गनी खां

पद्मविभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र ने पहले गुरु अब्दुल गनी खां से ख्याल गायकी सीखी। याद कर कहते हैं कि वे मुजफ्फरपुर ( बिहार ) के निवासी थे। नौ वर्ष की उम्र में मैं वहां गया और गुरुदेव के घर से एक किमी दूर रहता था। सुबह आठ बजे तक मैं वहां पहुंच शाम छह बजे तक उनकी सेवा करता। एक रोटी-जलेबी खाकर और लुंगी-गंजी पहनकर जाता। गरीबी के चलते पास में पैसा नहीं था। गुरु मां मुझे प्यार से मुझे चुन्नू पुकारतीं थीं। उनके आदेश पर एक किमी दूर बाजार से लकड़ी लाता। एक लकड़ी अगर, गीली होती तो उसे वापस करने के लिए भेजतीं और मैं नंगे पांव जाता। फिर कहतीं की जा सुपारी ला। मैं फिर एक किमी जाता। शाम में उस्ताद ख्याल व टप्पा सिखाते थे। गुरु माता उस्ताद से कहतीं रोटी ठंडी हो जाएगी, जल्दी आकर खा लीजिए। जवाब में उस्ताद कहते कि दिनभर काम कराती हो, इसे सीखने तो दो। उन्होंने जो ख्याल मुझे सिखाया, वह अब नहीं मिलता।

दूसरे गुरु मौनी बाबा

पं. छन्नू लाल के आध्यात्मिक गुरु मौनी बाबा ने 12 वर्ष तक मौन रहकर तीर्थ यात्राएं की थीं। वे भी मुजफ्फरपुर में ही रहते थे। पंडित जी के अनुसार, उन्होंने मुझसे कहा कि तुम मुजफ्फरपुर छोड़कर बनारस जाओ। मुजफ्फरपुर में रहोगे तो रिक्शे पर चलोगे। बनारस जाओगे तो मोटर व हवाई जहाज से सफर करोगे। उनके आदेश से मैं  बनारस आ गया। वह आदेश आशीर्वाद बन गया और मुझे उनकी कृपा से सब कुछ मिला।

शास्त्रीय गुरु ठाकुर जय देव सिंह : पं. छन्नू लाल मिश्र ने तीसरे गुरु संगीत शास्त्र के मार्तंड पद्मभूषण ठाकुर जयदेव सिंह से संगीत शास्त्र की शिक्षा ली। कहते है कि संगीत शास्त्र का ज्ञान है गुरुदेव की देन है।


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