Move to Jagran APP

सारनाथ के पुरातात्विक स्मारकों से घास की सफाई शुरू, पखवारे भर चलेगा संरक्षण अभियान

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पर्यटन स्थल सारनाथ के पुरातात्विक स्मारकों पर उगे घासों की सफाई का कार्य बुधवार से शुरू का दिया गया है। पूर्व में भी पर्यटन स्‍थल होने की वजह से खंडहर परिसर में सुरक्षा कारणों से समय समय पर संरक्षण का कार्य किया जाता रहा है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 04:23 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 04:23 PM (IST)
सारनाथ के पुरातात्विक स्मारकों से घास की सफाई शुरू, पखवारे भर चलेगा संरक्षण अभियान
सारनाथ के पुरातात्विक स्मारकों पर उगे घासों की सफाई का कार्य बुधवार से शुरू का दिया गया है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने पर्यटन स्थल सारनाथ के पुरातात्विक स्मारकों पर उगे घासों की सफाई का कार्य बुधवार से शुरू का दिया गया है। पूर्व में भी पर्यटन स्‍थल होने की वजह से खंडहर परिसर में सुरक्षा कारणों से समय समय पर संरक्षण का कार्य किया जाता रहा है। बारिश के बाद से ही परिसर में खंडहरों पर काफी घास उग आई थी। इसको ठीक करने के लिए विभाग स्‍तर पर काफी समय से कवायद चल रही थी। अब एक सितंबर से परिसर में झाड़ झंखाड़ के साथ ही दीवारों और छतों पर उग आए घासों की सफाई का काम शुरू किया गया है। 

loksabha election banner

विभाग की ओर से इस बाबत बताया गया है कि बारिश के दिनों में स्मारकों पर पानी पड़ने से घास उगने से स्मारकों की खूबसूरती कम होने लगती है। इसके साथ ही घास के आसपास मिट्टी जमकर खंडहर का क्षय भी करने लगते हैं। इसकी वजह से मानसून के अंतिम दौर में परिसर को पर्यटकों के आगमन के पूर्व ही साफ करने का क्रम शुरू किया गया है। अधिकारियों के अनुसार कोरोना संक्रमण खत्‍म होने के बाद पर्यटकों का आगमन शुरू होने जा रहा है। इसकी वजह से प्रतिवर्ष साफ सफाई का दौर विशेषज्ञों की देखरेख में संपन्‍न होता रहा है। इस लिहाज से 2021 में मानसून के विदायी के दौरान घासों की सफाई का दौर चल रहा है। 

इसको लेकर पुरातत्व विभाग ने पुरातात्विक खंडहर परिसर के स्मारकों , चोखण्डी स्तूप स्मारकों पर उगी घासों की सफाई कार्य शुरू कर दिया गया है। साथ बारिश के दौरान स्मारकों पर लगी काई की सफाई भी की जा रही है। सफाई के लिए पुरातत्व कर्मियों के साथ एक दर्जन मजदूर लगाये गए है। इसमें लगभग 15 दिन का समय लगेगा। इसके बाद परिसर में विशेषज्ञों के देखरेख में पूरी टीम खंडहर सहित स्‍तूप परिसर की देखरेख शुरू की जा रही है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.