Move to Jagran APP

70 लाख में गोविंद वल्लभ पंत सागर की जाचेंगे प्रदूषण का स्तर, सीडब्ल्यूपीआरएस को मिला अध्ययन का जिम्मा

रिहंद डैम में आस-पास की कंपनियों ने कितना प्रदूषण डाला कितना सिल्ट जमा है जिस वजह से उसके जलधारण क्षमता में कमी आई है।सीडब्ल्यूसी को पत्र भेजा तो वहां से विस्तृत अध्ययन के लिए पुणे की संस्था को नामित किया गया है।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Tue, 15 Dec 2020 08:20 AM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 12:42 PM (IST)
गोविंद वल्लभ पंत सागर यानी रिहंद डैम में आस-पास की कंपनियों ने कितना प्रदूषण इसकी जांच होगी।

सोनभद्र, जेएनएन। देश के प्रमुख बांधों में शामिल गोङ्क्षवद वल्लभ पंत सागर यानी रिहंद डैम में आस-पास की कंपनियों ने कितना प्रदूषण डाला, कितना सिल्ट जमा है जिस वजह से उसके जलधारण क्षमता में कमी आई है।  इसकी जांच के लिए पुणे की संस्था सीडब्ल्यूपीआरएस (सेंट्रल वाटर एंड पावर रिसर्च स्टेशन) को जिम्मेदारी दी गई है। सिंचाई विभाग की निगरानी में होने वाली इस जांच में 70 लाख रुपये खर्च होंगे जो संस्था को मिल गया है। कुछ औपचारिकताओं को पूरी कर जांच शुरू की जाएगी। इसकी रिपोर्ट एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) को भेजी जाएगी और तलहटी की सफाई भी होगी।

loksabha election banner

करीब 180 वर्गमील के रिहंद जलाशय की सीमाएं यूपी के साथ ही मध्य प्रदेश से भी सटी हैं। इस बांध के आस-पास कई औद्योगिक कंपनियां हैं। इन कंपनियों से निकलने वाला कचरा गत कई वर्षों से रिहंद जलाशय में पहुंचता रहा है। ऐसे में यह शिकायत आने लगी कि कंपनियों से निकलने वाला कचरा रिहंद डैम में जाने से पानी दूषित हो रहा है। इसके साथ ही इसकी तलहटी में ये कचरा जमा हो रहा है। अगर यहीं स्थिति रही तो बांध की गहराई कम हो जाएगी और जलाशय की पानी धारण क्षमता कम हो जाएगी। इसको लेकर एनजीटी में याचिका दायर की गई। उसकी सुनवाई करते हुए एनजीटी ने इस मामले के सर्वे के लिए टीम गठित की थी। उस टीम ने जब रिपोर्ट दिया तो तलहटी में जमे कचरे की जांच कराने की सिफारिश की गई। ऐसे में एनजीटी ने जांच की जिम्मेदारी सिचाई विभाग रिहंद को दी। यह कहा गया कि वास्तव में बांध की तलहटी में कितना कचरा है, इसकी रिपोर्ट बनायी जाए। उस आदेश के क्रम में रिहंद प्रशासन ने सीडब्ल्यूसी (केंद्रीय जल आयोग) को पत्र भेजा तो वहां से विस्तृत अध्ययन के लिए पुणे की संस्था को नामित किया गया है।

अभी कहां तक पहुंची है प्रक्रिया

रिहंद की देखरेख करने वाले सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता इं. पीपी शुक्ला ने बताया कि रिहंद डैम जब बना था तो जल विद्युत निगम को सौंप दिया गया। उनके द्वारा बांध की देख-रेख की जिम्मेदारी ङ्क्षसचाई विभाग को दी गई है। बांध की तलहटी में कितना सिल्ट जमा है इसकी विस्तृत जांच की जानी है। इसके लिए धनराशि आदि संस्था को मुहैया करा दी गई है। इसके बाद संस्था के लोगों ने मोटर बोट आदि की डिमांड की है। इसके लिए पत्र सीडब्ल्यूसी को भेजा गया है। उम्मीद है कि जल्द ही जांच शुरू होगी। एक महीने तक यहां रहकर संस्था के लोग जांच करेंगे। उसकी रिपोर्ट उच्चस्तर को भेजी जाएगी।

प्रदूषण से कितना प्रभावित हुआ बांध

पर्यावरण को लेकर काम करने वाले बनवासी सेवा आश्रम के जगत नारायण बताते हैं कि बांध के किनारे का पश्चिमी इलाका काफी दूर तक सात से आठ फीट तक राख व गंदगी से भरा है। रिहंद के पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। इसमें मर्करी, लेड व फ्लोराइड की भी मात्रा मानक से अधिक बतायी जाती है। पूर्वी क्षेत्र के कुछ गावों में रहने वाले लोग रिहंद डैम का पानी भी पीते हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

रिहंद डैम में जमे सिल्ट की जांच और उसकी सफाई के लिए पुणे की एक संस्था नामित हुई

रिहंद डैम में जमे सिल्ट की जांच और उसकी सफाई के लिए पुणे की एक संस्था नामित हुई है। इसके लिए करीब 70 लाख रुपये संस्था को रिहंद सिंचाई विभाग की ओर से दे भी दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही जांच शुरू होगी।

- इं. राधेश्याम, क्षेत्रीय अधिकारी- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.