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राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को वाराणसी में ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय परमेष्ठि सम्मान’

सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि महान विचारक पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीयता के मूर्तरूप थे। उनके विचारों से राष्ट् और व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव है। इसलिए सबको उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 09:43 AM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 09:43 AM (IST)
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को वाराणसी में ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय परमेष्ठि सम्मान’
मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि महान विचारक पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीयता के मूर्तरूप थे।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित पं. दीनदयाल उपाध्याय पीठ ने सोमवार राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय परमेष्ठि सम्मान’ प्रदान किया। इसी के साथ सामाजिक विज्ञान संकाय के संबोधि सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले चार अन्य कर्मयोगियों रामाशीष, नागेंद्र, चंद्रमोहन व सुरेंद्र को ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय अमृत महोत्सव सम्मान’ प्रदान किया गया।

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सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि महान विचारक पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीयता के मूर्तरूप थे। उनके विचारों से राष्ट् और व्यक्ति का सर्वांगीण विकास संभव है। इसलिए सबको उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए। श्री मिश्र ने दीनदयाल के आर्थिक दर्शन को आधार बनाकर ‘उत्पादन में बढ़ोतरी, उपभोग पर संयम, वितरण में समानता’ की बात की। कहा कि पं. दीनदयाल का चिंतन समाज की संपूर्णता का चिंतन है।

विशिष्ट अतिथि अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित ने कहा कि हमें पं. दीनदयाल के दर्शन को अपनाकर ऐसे समाज का निर्माण करना है जो दूसरों की सहायता एवं सेवा को तत्पर रहे। अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यवाहक कुलपति प्रो. वीके शुक्ल ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की यह पीठ, पं. दीनदयाल के विचारों को बढ़ा रही है।

इसके पूर्व राज्यपाल ने भारतीय संविधान की उद्देशिका एवं संविधान के मूल कर्तव्यों का वाचन कराया। इसके बाद महामना और पं. दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन किया। कुलगीत के बाद संकाय प्रमुख व पीठ के प्रभारी प्रो. कौशल किशोर मिश्र ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। बीएचयू के प्रभारी कुलपति प्रो. वीके शुक्ल, अतिरिक्त परीक्षा नियंत्रक प्रो. एसके उपाध्याय, राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित, सामाजिक बहिष्करण एवं समावेशी नीति अध्ययन केंद्र की समन्वयक प्रो. श्वेता प्रसाद एवं पीठ प्रभारी प्रो. कौशल किशोर मिश्र ने राज्यपाल श्री मिश्र को सम्मान प्रदान किया। अन्य कर्मयोगियों को राज्यपाल ने सम्मानित किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने डा. आशुतोष कुमार की पुस्तक ‘इंडियन सोल्जर इन दी फर्स्ट वर्ल्ड वार : री-विजिटिंग ए ग्लोबल कन्फिलक्ट’ एवं डा. अनूप कुमार मिश्र की पुस्तक ‘जेंडर च्वाइस एंड वर्थ इनइक्वलिटि केस स्टडी आफ वाराणसी डिस्ट्रिक्ट’ का विमोचन किया।

कार्यक्रम में डा. सत्येन्द्र सिंह, प्रो. आरपी पाठक, प्रो. केशव मिश्र, प्रो. बिंदा परांजपे, प्रो. रंजना शील, प्रो. प्रवेश भारद्वाज, डा.. प्रियंका झा, डा. सुनीता सिंह, डा. मीनाक्षी झा, डा. सीमा मिश्रा, डा. अनुराधा सिंह, डा. अशोक सोनकर, पंतजलि पांडेय आदि उपस्थित थे। संचालन डा. अनूप कुमार मिश्र ने किया।


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