वाराणसी में अधिक धुआं देने वाले वाहनों पर कार्रवाई नहीं होने पर शासन ने मांगा जवाब
शहर की हवा दूषित होने विभिन्न बीमारियों की चपेट में आने और परिवहन अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं करने पर शासन ने नाराजगी जाहिर की है। शासन ने प्रवर्तन परिवहन अधिकारी से की गई कार्रवाई और नहीं करने को लेकर जवाब-तलब किया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : शहर की हवा दूषित होने, विभिन्न बीमारियों की चपेट में आने और परिवहन अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं करने पर शासन ने नाराजगी जाहिर की है। शासन ने प्रवर्तन परिवहन अधिकारी से की गई कार्रवाई और नहीं करने को लेकर जवाब-तलब किया है। शासन ने पूछा है कि पिछले छह माह में कितने वाहनों का प्रदूषण में चालान या जुर्माना किया गया है। यदि कार्रवाई नहीं की गई तो क्या जिलेे में चलने वाले वाहन सही है। वह दूषित हवा नहीं देते हैं, यदि नहीं देते हैं तो एनजीटी की रिपोर्ट क्या कहती है।
अपर परिवहन आयुक्त डीके त्रिपाठी के निर्देश पर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) सर्वेश चतुर्वेदी ने गाड़ी मालिकों को अपने वाहनों के प्रदूषण की जांच कराने का निर्देश दिया था। मानक से अधिक धुआं देने पर गाडिय़ों का चालान करने के साथ जुर्माना करने का आदेश था। जुर्माना राशि 10 हजार रुपये होगी। दोबारा जांच में पकड़े जाने पर उन वाहनों का पंजीयन निरस्त करें। अभियान में जिला प्रशासन और पुलिस को शामिल करना था।
इंजन खराब होने, समय पर मरम्मत नहीं होने से गाडिय़ां अधिक धुआं देती है, इसका सीधा असर आक्सीजन पर पड़ता है। जहरीली हवा आमजन के लिए घातक है। यह जानलेवा साबित हो रही हैं। एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कई बार जिला प्रशासन समेत परिवहन विभाग को चेता चुका है कि अधिक धुआं देने वाले वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई करें। फिर भी अधिक धुआं देने वाले वालों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई नहीं हो रही थी। शहर की हवा दूषित होने के चलते अब लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। लोग विभिन्न बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। अधिक धुआं देने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर अपर परिवहन आयुक्त ने जिला प्रशासन और परिवहन विभाग को पत्र लिखकर कार्रवाई करने को पत्र लिखा था। अपर परिवहन आयुक्त के आदेश पर एआरटीओ ने गाड़ी मालिकों से अनुरोध किया है कि वे अपनी गाड़ी के प्रदूषण की जांच करा लें। अधिक धुआं देने पर गाड़ी के इंजन की मरम्मत कराएं।