बाबा दरबार में बंद करें सरकारी मनमानी, सदस्य विधान परिषद शतरूद्र प्रकाश ने जताई आपत्ति
बाबा दरबार में दर्शन-पूजन से लेकर पूजा पद्धति में आए दिन मनमाने तरीके से किए जा रहे बदलाव जरूरत से अधिक सरकारी हस्तक्षेप को लेकर लोग मुखर होने लगे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। बाबा दरबार में दर्शन-पूजन से लेकर पूजा पद्धति में आए दिन मनमाने तरीके से किए जा रहे बदलाव, जरूरत से अधिक सरकारी हस्तक्षेप को लेकर लोग मुखर होने लगे हैं। गर्भगृह में पहले पाबंदी फिर एक घंटे की इजाजत को लेकर विधान परिषद सदस्य शतरूद्र प्रकाश ने घोर आपत्ति जताते हुए पत्र लिखा है।सदस्य विधान परिषद ने सरकारी अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कहा है कि वे अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर परंपरागत पूजा पद्धति, दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक, आरती संबंधी विधि विधान में रोज बेजा हस्तक्षेप कर रहे हैं जो तत्काल बंद हो। शतरूद्र ने लिखा है कि संप्रति मंदिर के न्यास बोर्ड में कोई भी गैर सरकारी निष्पात हिंदू नहीं है जिसको मंदिर की परंपरागत पूजा पद्धति का ज्ञान हो।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 के मुताबिक मंदिर में पूजा पद्धति के प्राधिकारी मंदिर के अर्चक हैं। अधिनियम की धारा 17 (1) में लिखा है कि मंदिर के न्यास बोर्ड से नियंत्रण में रहते हुए मंदिर के प्रबंध और नियंत्रण के बाबत मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिम्मेदार होगा। इसी अधिनियम की धारा 22 (1) के अनुसार मंदिर के अर्चक मंदिर की धार्मिक पूजा पद्धति, परंपरागत धार्मिक विधि विधान को कार्यान्वित करने तथा संरक्षित रखने के लिए जिम्मेदार होंगे।'
सदस्य विधान परिषद ने अपने पत्र में अधिनियम की धारा का हवाला देते हुए कहा है कि न्यास परिषद, मुख्य कार्यपालक अधिकारी या अन्य कोई अधिकारी अर्चकों के धार्मिक कार्यक्षेत्र में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर की आय बढ़ाने की होड़ में मंदिर का हुआ व्यवसायीकरण
- मंदिर गर्भगृह प्रवेश पर रोक लगी 17-8 2019
- मंदिर की अधिकांश योजना ठेके पर चल रही। गेस्ट हाउस, हेल्प डेस्क को भी ठेके पर संचालित कराया जा रहा।
- बाबा के रसोइये से छेड़छाड़ किया गया। आज तक बाबा को स्थाई रसोई नही मिली।
- रानी भवानी प्रांगण के दलान में बाबा का भोग प्रसाद बनाया जा रहा है।
- सफाई के नाम पर मंदिर परिसर से सैकड़ों की संख्या में विग्रह हटाये गए लेकिन दोबारा उनकी स्थापना नहीं हुई।
- काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास में पहली बार बाबा को 72 घंटे तक जगाए रखा।
- मंदिर प्रांगण में आए दिन दुव्र्यवहार की शिकायतें आती रहती हंै।
-बाबा शिखर की साफ -सफाई के नाम पर लाखों हुआ खर्च पर हालत जस की तस।
- नई परंपरा में बाबा दरबार में कुम्भा अभिषेक को लेकर न्यास अध्यक्ष ने आपत्ति जताई थी।
-गर्भ गृह के द्वार को बदलने को लेकर भी न्यास अध्यक्ष ने भी जताई थी आपत्ति।
- समाप्त की गई मंगला में बाबा को जगाने वाले ज्ञानार्चक को उठाया गया और यह परंपरा भी बंद हुई।
-कहने के लिए रेडजोन के प्रवेश व निकास के लिए छह द्वार है लेकिन आना जाना केवल दो द्वार से होता है।
- मंदिर प्रवेश द्वार के सामने ऐतिहासिक नोबत खाने को गिराया गया जिसमें भारत रत्न दिवंगत बिस्मिल्ला खां शहनाई वादन करते थे।
- नियमावली को ताख पर रखकर बाबा दरबार में पांच पीआरओ व सैकड़ों शास्त्रियों की नियुक्ति की गई।
- इधर एक वर्ष से मंदिर प्रशासन के व्यवहार से बाबा की सप्तऋषि आरती में कई बार विघ्न पड़ा।
- मंदिर परिक्षेत्र में अन्नक्षेत्र खुला पर आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुये बंद कर दिया लेकिन लोगों के रोष को देखते हुए दोबारा शुरू किया गया।
वर्ष 2017 से 2019 के बीच हुए बदलाव
-कुंभाभिषेक चर्चा में रहा दक्षिण भारतीय जजमान सीढ़ी लगवाकर शिखर पर चढ़ के पूजा की और उसने भरोसा दिलाया था कि जल्द ही शिखर की सफाई भी कराएंगे पर आज तक नहीं हुआ।
जून, 2018
-गर्भगृह में प्रवेश बंद 17 जुलाई 2019
- ज्ञानर्चक को हटाया जुलाई, 2018