बनारस में रोज निकलता है करीब सौ ट्रक कचरा, डंपिंग स्टेशन पर कूड़ा जाम की बन रही नौबत
बनारस में रोज करीब 100 ट्रक कचरा करसड़ा स्थित डंपिंग स्टेशन पर जाता है जो अब मुसीबत बन गया है।
वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। प्लास्टिक कचरा आज पूरे देश की समस्या बन गया है। खासकर बनारस में रोज करीब 100 ट्रक कचरा करसड़ा स्थित डंपिंग स्टेशन पर जाता है जो अब मुसीबत बन गया है। अब इससे छुटकारा मिलने वाला है। रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से सिपेट (सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनिय¨रग एंड टेक्नोलॉजी) ने यहां प्लास्टिक रीसाइकिलिंग प्लांट स्थापित करने की योजना बनाई है। काशी में प्लास्टिक रीसाइकिलिंग प्लांट बनाने को कई वर्षो से कुछ कंपनियां व संस्थान दावे करते आ रहे हैं लेकिन उनका दावा अभी तक हवा-हवाई ही रहा।
मंत्रालय के निर्देशन में सिपेट यहां पर सेंटर फार स्कीलिंग एंड टेक्निकल सपोर्ट भी खोलने जा रहा है। यह केंद्र प्रदेश का दूसरा एवं प्रदेश के 40वां होगा। अब सिपेट की ओर से ही एक और पहल की गई है यानी काशी में सरकारी प्लास्टिक रीसाइकिलिंग प्लांट पहली बार स्थापित होने जा रहा है। यहां प्लास्टिक के कचरे को रीसाइकिलिंग कर उपयोगी वस्तुएं एवं रॉ मेटेरियल बनाए जाएंगे। इससे पूर्वाचल के प्लास्टिक उद्योग को नई धार मिलेगी। वैसे काशी प्लास्टिक उद्योग के मामले में पूर्वाचल का हृदय है। यहां पर दर्जनभर से अधिक प्लास्टिक रीसाइकिलिंग कपंनियां हैं। 10 करोड़ की लागत वाराणसी स्थित सेंटर फार स्किलिंग एंड टेक्निकल सपोर्ट (सिपेट) के नोडल अधिकारी एके खरे ने बताया कि प्लांट की स्थापना 10 करोड़ की लागत से होगी।
इसमें अति आधुनिक मशीनें रहेंगी। इसके लिए करसड़ा में बने कूड़ा डंपिंग स्टेशन में भूमि के लिए बात की गई है। इसके लिए स्वीकृति भी मिल गई है। आएंगे मंत्रालय के अधिकारी नोडल अधिकारी खरे ने बताया कि 28 दिसंबर को होटल रमाडा में अहम बैठक होने जा रही है। इसमें मंत्रालय के सचिव, संयुक्त सचिव, सिपेट के महानिदेशक आ रहे हैं। इसके अलावा काशी के साथ ही प्लास्टिक रोजगार से जुड़ी देश की नामी कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। बैठक में प्लांट के प्रस्ताव पर मुहर लगने की उम्मीद है।