लाखों रुपये खर्च करने के बाद लेडीज चेंजिंग रूम को बनाया सरकारी दफ्तर, बदहाली जारी
बलिया में पिछले कई दशक से जनपद के होनहारों को खेल का दांव पेंच सिखाने वाला वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम इस वक्त बदहाल है।
बलिया, जेएनएन। पिछले कई दशक से जनपद के होनहारों को खेल का दांव पेंच सिखाने वाला वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम आजकल बदहाल है। जिले के उदीयमान प्रतिभाओं को निखारने की सोच से स्थापित यह खेल ग्राउंड अब न तो खिलाड़ियों के लिए मुफीद रह गया है और न ही अभिभावकों की पसंद। चहुंओर दुर्व्यवस्थाओं से जूझ रहे इस स्टेडियम के लिए किसी जिम्मेदार के पास समय नहीं है। आलम यह है कि वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम के बैड¨मटन हॉल में बने लेडीज चेंजिग रूम से जिले के आलाधिकारी का दफ्तर संचालित हो रहा है। जिला प्रशासन से लगायत जनप्रतिनिधियों तक की उपेक्षा का शिकार स्टेडियम शायद अपने सबसे बुरे दिन से गुजर रहा है।
ग्राउंड की हकीकत सामने आने के बाद कुछ ऐसे तथ्य भी उजागर हुए जो काफी चौंकाने वाले हैं। सरकार द्वारा खेल मद में सालान लाखों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी प्रतिभाओं को खेल की किट तक उपलब्ध नहीं हो पाती है। सरकार से प्राप्त अनुदान के अलावा ग्राउंड बु¨कग के नाम पर होने वाली आय व खेल विकास समितियों से प्राप्त होने वाले राजस्व को जोड़ दिया जाए तो वीर लोरिक के नाम पर तकरीबन सात से आठ लाख रुपये प्रति वर्ष प्राप्त होता है। इसमें टॉयलेट क्लिनर से लेकर अन्य साजो-सामान के लिए व्यय की जाने वाली धनराशि अकेले ही तकरीबन 6 लाख रुपये के बराबर है।
बावजूद स्पोर्ट्स स्टेडियम के वॉशरूम की स्थिति बद से बदतर नजर आती है। हालात को देखकर ऐसा लगता है मानों वर्षों पूर्व इसकी साफ-सफाई की गयी हो। स्टेडियम की दुर्व्यवस्थाओं की फेहरिश्त काफी लंबी है। हालात का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि महिला खिलाड़ियों को किट चेंज करने तक की माकूल व्यवस्था स्टेडियम में नहीं है। जी हां, एकबारगी विश्वास न होने वाला यह तथ्य वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम की हकीकत है। वजह की बैड¨मटन हॉल में बने चेंजिग रुम से जिले के आलाधिकारी का दफ्तर संचालित हो रहा है।
यही नहीं ग्राउंड मेंटेनेंस के लिए लाखों रूपये प्राप्त करने वाला यह स्टेडियम इसकी भी समुचित व्यवस्था नहीं कर पाता। खिलाड़ियों की मानें तो यहां होने वाले मैचों के लिए ग्राउंड को स्वंय ही तैयार करना पड़ता है। चाहे क्रिकेट मैच के लिए पिच तैयार कराना हो या फिर फुटबाल के मैदान की साफ-सफाई। सवाल यह है कि लेडीज चें¨जग रुम से ग्राउंड मेंटनेंस तक में फिसड्डी इस ग्राउंड से खेलो इंडिया के सपने को कैसे साकार किया जा सकता है।