सरकार का निजीकरण पर सबसे अधिक जोर, निजी बैंक ही मगर सबसे कमजोर
सरकार भले ही बैंकों के निजीकरण में लगी है लेकिन बनारस में निजी बैंक फिट नहीं बैठ रहे हैं। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और लोगों तक पहुंच में सरकारी बैंक की अधिक है। जबकि गरीबों की पहुंच निजी बैंकों में नहीं है। सरकारी योजनाओं में भी निजी बैंक डांवाडोल हैं।
वाराणसी, जेएनएन। सरकार भले ही बैंकों के निजीकरण में लगी है लेकिन बनारस में निजी बैंक फिट नहीं बैठ रहे हैं। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और लोगों तक पहुंच में सरकारी बैंक की अधिक है। जबकि गरीबों की पहुंच निजी बैंकों में नहीं है। सरकारी योजनाओं में भी निजी बैंक डांवाडोल हैं। यदि सरकार बैंकों का निजीकरण करती है तो इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। सरकारी बैंक भले ही निजी बैंकों की तरह सुविधाएं नहीं दे रहे हैं लेकिन यह गरीबों को साधे हुए हैं। हर घर तक इनकी दखल है। सरकार के सभी योजनाओं का क्रियान्वयन सरकारी बैंक ही करते हैं। पीएम स्वनिधि, मुद्रा योजना, पीएम सुरक्षा बीमा योजना, पीएम जीवन ज्योति योजना इन्हीं सरकारी बैंकों के भरोसे संचालित हो रही हैं।
आंकड़ों से जाने सरकारी और निजी बैंकों की खाई
बैंको द्वारा निजीकरण के विरोध में हड़ताल किया जा रहा है। बात केवल बनारस की करें और आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सरकारी योजनाओं। में निजी बैंक रुचि नहीं ले रहे हैं।
पीएम स्वनिधि
जिले में पीएम स्वनिधि में कुल 25744 वेंडर को ऋण दिया गया है। जिसमें प्राइवेट बैंक द्वारा मात्र 67 वेंडरों को लाभान्वित किया गया है।
जनधन योजना
जिले में कुल 13.63 लाख जनधन खाते खोले गए हैं। जिसमें निजी बैंकों ने मात्र 10000 खाते खोले।
पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना
जिले में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना में सरकारी बैंक 129663 खाते खोले जबकि निजी बैंकों ने 5122 खाते खोले हैं।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
जिले में प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में सरकारी बैंकों 412500 खाते गए। वहीं निजी बैंक ने 11255 खाते खोले।
अटल पेंशन योजना
जिले में सरकारी बैंकों ने अटल पेंशन योजना में सरकारी बैंकों ने 66667 खाते खोले। वहीं निजी बैंकों ने 1400 लोगों को लाभ दिया है।