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टैक्स चोरी में पकड़े माल को छुड़ाने को मिलता था सात दिन, अब दोगुना समय

जीएसटी में कारोबारियों के लिए राहतभरी खबर है, कर चोरी की आशंका में पकड़े गए माल को जब्त होने से बचाने के लिए दो गुना समय मिलने की घोषणा से कारोबारियों में राहत है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:16 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:00 AM (IST)
टैक्स चोरी में पकड़े माल को छुड़ाने को मिलता था सात दिन, अब दोगुना समय
टैक्स चोरी में पकड़े माल को छुड़ाने को मिलता था सात दिन, अब दोगुना समय

वाराणसी [सौरभ चक्रवर्ती] : जीएसटी में कारोबारियों के लिए राहतभरी खबर है। कर चोरी की आशंका में पकड़े गए माल को जब्त होने से बचाने के लिए अब उनको दो गुना समय मिलेगा। पहले जब्त माल को छुड़ाने के लिए सात दिन का वक्त मिलता था। अब समय सीमा बढ़ाकर 14 दिन कर दिया गया है। वाणिज्यकर विभाग कर चोरी की आशंका में माल को जब्त कर लेते थे। माल से संबंधित दस्तावेज कारोबारियों को प्रस्तुत करने में सात दिन भी कम पड़ जाता था। इस बीच कार्रवाई कर दी जाती थी। 

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जीएसटी काउंसिल ने नियम में संशोधित करते हुए 14 दिन का वक्त दे दिया है। जीएसटी की धारा 129 (1) के तहत अगर अधिकारियों को किसी वाहन में जा रहा माल संदिग्ध लगता है तो वह उस माल व उसे ले जा रहे वाहन को अपने कब्जे में कर सकते हैं। ऐसे मामलों में कर चोरी पाए जाने पर कारोबारी नियमानुसार अर्थ दंड व टैक्स का भुगतान कर माल व वाहन छुड़ा सकता है। इसके साथ ही धारा 129 (6) में यह प्रावधान भी है कि यदि अधिग्रहण के सात दिन के अंदर जुर्माना व टैक्स जमा कर कारोबारी माल को नहीं छुड़ाता है तो उस मामले में धारा 130 के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसमें माल व वाहन दोनों को जब्त किया जा सकता है, जिसकी बाद में नीलामी हो सकती है। सामान्य तौर पर कारोबारी सात दिन के अंदर जुर्माना और टैक्स की राशि नहीं चुका पाता। इसलिए धारा 130 की कार्रवाई विभाग शुरू कर देता है। कारोबारी इस मामले में राहत देने की बात कह रहे थे। व्यापारियों के अनुसार माल पकड़े जाने, नोटिस देने, उसका जवाब देने या जुर्माना अदा करने में ही सात दिन गुुजर जाता है। 

बोले अधिकारी : समय सीमा बढऩे से कारोबारियों को राहत मिलेगी। 14 दिन के अंदर जब्त माल से संबंधित कागजात वह प्रस्तुत कर सकते हैं। क्योंकि जीएसटी ने यह अवधि बढ़ा दी है।  -ओपी तिवारी, ज्वाइंट कमिश्नर, एसआइबी, वाणिज्यकर विभाग।


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