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वाराणसी में कोरोना संक्रमण बढ़ते ही बिकने लगे गिलोय के पौधे, नीम के पेड़ में लिपटा गिलोय डिमांड में

कोविड संक्रमण बढ़ते ही एक बार फिर लोगों ने औषधीय पौधे पर विश्वास जताया है। जिससे मंडुआडीह क्षेत्र में स्थित नर्सरियों से औषधीय पौधे सैकड़ों की संख्या में बिकने लगे हैं। नर्सरी संचालकों के अनुसार इस समय गिलोय के पौधे की मांग काफी बढ़ी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 11:41 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 11:41 AM (IST)
वाराणसी में कोरोना संक्रमण बढ़ते ही बिकने लगे गिलोय के पौधे, नीम के पेड़ में लिपटा गिलोय डिमांड में
कोविड संक्रमण बढ़ते ही एक बार फिर लोगों ने औषधीय पौधे पर विश्वास जताया है।

वाराणसी [श्रवण भारद्वाज]। कोरोना संक्रमण बढ़ते ही एक बार फिर लोगो ने औषधीय पौधे पर विश्वास जताया है। जिससे मंडुआडीह क्षेत्र में स्थित नर्सरियों से औषधीय पौधे सैकड़ों की संख्या में बिकने लगे हैं। नर्सरी संचालकों के अनुसार इस समय गिलोय के पौधे की मांग काफी बढ़ी है। गिलोय के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में बहुत सारी फायदेमंद बातें बताई गई हैं। आयुर्वेद में इसे रसायन माना गया है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। गिलोय के पत्ते स्वाद में कसैले, कड़वे और तीखे होते हैं। गिलोय के इस्तेमाल से सुखी खांसी, बुखार, उल्टी, प्यास, जलन, डायबिटीज, कुष्ठ और पीलिया रोग में लाभ ले सकते हैं। इसके साथ ही यह बुद्धि बढ़ाती है।

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गिलोय कभी न सूखने वाली एक लता है : गिलोय अमृता, अमृतवल्ली अर्थात कभी न सूखने वाली एक बड़ी लता है। इसका तना देखने में रस्सी जैसा लगता है। इसके कोमल तने तथा शाखाओं से जडें निकलती हैं। इस पर पीले व हरे रंग के फूलों के गुच्छे लगते हैं। इसके पत्ते काफी कोमल तथा पान के पत्ते के आकार के और फल मटर के दाने जैसे होते हैं।

मंडुआडीह नर्सरी संचालक राकेश राजभर ने बताया कि यह जिस पेड़ पर चढ़ती है, उस वृक्ष के कुछ गुण भी इसके अन्दर आ जाते हैं। इसीलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय सबसे अच्छी मानी जाती है।आधुनिक आयुर्वेदाचार्यों (चिकित्साशात्रियों) के अनुसार गिलोय नुकसानदायक बैक्टीरिया से लेकर पेट के कीड़ों को भी खत्म करती है।शरीर को प्रभावित करने वाले रोगाणुओं को भी यह खत्म करती है।

गिलोय की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें मुख्यतया निम्न प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। गिलोय का लैटिन नाम टिनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया है।

गिलोय इन नामों से भी जाना जाता हैः अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया, गुंचा गुलोची,अमृथावल्ली, अमृतवल्ली, युगानीवल्ली, मधुपर्णी, गुलवेल, गालो, अमृतबेल, अमृदवल्ली शिन्दिलकोडि, पेयामृतम, चित्तामृतु, गिलो, गुलबेल गिलोय आदि नामों से जाना जाता है।

बोले नर्सरी संचालक : नर्सरी संचालक राकेश ने बताया कि जैसे -जैसे कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है गिलोय की मांग बढ़ रही है मंडुआडीह में स्थित सैकड़ो नर्सरियों से प्रत्येक दिन काफी संख्या में गिलोय की बिक्री हो रही है। वहीं किसान नर्सरी संचालक भाई लाल ने कहा कि गिलोय डेढ़ से दो महीने में तैयार होता हैं यह 15 से 20 रुपये तक बिकता हैं यह आसानी से हर जगह नही मिलता है।


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