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यूपी का नया अवतार दिखाता वाराणसी में शुरू हुआ जीआइ प्रोडक्ट्स एग्जीबिशन 2021, 16 जनपदों के जुटे हस्‍तशिल्‍पी

भारत की प्राचीन कालीन हस्तकलाओं की परंपरा में उत्तर प्रदेश का योगदान अतुलनीय है। ब्रांड उत्तर प्रदेश को एक नया आयाम देने के लिए वाराणसी के दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में उत्तर प्रदेश जीआइ प्रोडक्ट्स एग्जीबिशन 2021 का आयोजन बड़े उत्साह और उमंग के साथ शुरू हुआ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 06:12 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 06:12 PM (IST)
यूपी का नया अवतार दिखाता वाराणसी में शुरू हुआ जीआइ प्रोडक्ट्स एग्जीबिशन 2021, 16 जनपदों के जुटे हस्‍तशिल्‍पी
वाराणसी में उत्तर प्रदेश जीआइ प्रोडक्ट्स एग्जीबिशन 2021 का आयोजन बड़े उत्साह और उमंग के साथ शुरू हुआ।

वाराणसी, जेएनएन। भारत की प्राचीन कालीन हस्तकलाओं की परंपरा में उत्तर प्रदेश का योगदान अतुलनीय है। ब्रांड उत्तर प्रदेश को एक नया आयाम देने के लिए वाराणसी के दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में उत्तर प्रदेश जीआइ प्रोडक्ट्स एग्जीबिशन 2021 का आयोजन बड़े उत्साह और उमंग के साथ शुरू हुआ। यह एग्जीबिशन 18 से 24 जनवरी 2021 तक चलेगी। इस दौरान उठते प्रदेश के 28 जीआइ टैग वाले उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। इस एग्जीबिशन में राज्य के विभिन्न उत्पादों के भौतिक और आभासी स्टॉल प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जिनका अवलोकन भौतिक और वर्चुअल दोनों ही रूपों में किया जा सकता है। इस प्रदर्शनी का आयोजन यूपी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल, उत्तर प्रदेश सरकार, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है।

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संयुक्त आयुक्त इंडस्ट्रीज उमेश सिंह ने बताया, "यह भौतिक और वर्चुअल प्रदर्शनी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खरीददारों और विक्रेताओं को परस्पर संवाद का बेहद प्रभावी मंच प्रदान कर रहा है। उन्होंने आम जनता से भी अपील की कि जीआई टैग अपने आप मे गुणवत्ता की गारंटी है और इस प्रदर्शनी में एक से एक अनूठे और गुणवत्ता वाले उत्पाद विक्रय के लिए प्रदर्शित किए जा रहे हैं, जिनकी खरीदारी आम जनता भी कर सकती है।"

उन्होंने बताया, " इस प्रदर्शनी में प्रतिभाग करने वाले विक्रेताओं ने जीआइ टैग मिलने के कारण कोरोना जैसे संकट काल में अपने उत्पादों की अच्छी बिक्री की है। जो इस बात का द्योतक है कि सरकार ने जिस गम्भीरता के साथ हस्तशिल्पियों के वोकल फ़ॉर लोकल के सिद्धांत पर कार्य करना शुरू किया था, उसके बेहद सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं।"

एग्जीबिशन के पहले दिन 'डिटेल्ड डिस्कशन ऑन ज्योग्राफिकल इंडीकेशन' नाम से जीआई के महत्व पर विस्तृत चर्चा हुई। इस चर्चा में एग्जीबिशन में आए जीआई प्रोडक्ट्स के उत्पादक शामिल हुए, साथ ही इस परिचर्चा को डिजिटल माध्यम से विश्व के कोने-कोने में बैठे खरीददारों ने भी देखा।

परिचर्चा के पहले सत्र में असिस्टेंट कमिश्नर श्री नितेश धवन ने क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए जीआई के महत्व को बताया। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया, " ज्योग्राफिकल इंडीकेशन संबंधित क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत पर उस क्षेत्र के अधिकार की रक्षा करता है, साथ ही पर्यटन और निर्यात को बढ़ावा देता है और उत्पाद का अंतरराष्ट्रीय ब्रांड मूल्य स्थापित करता है, इससे न केवल स्थानीय रोजगार के अवसर पैदा होते हैं बल्कि देश के सामाजिक आर्थिक विकास में योगदान देता है।"

सत्र में अपने सम्बोधन के दौरान पद्मश्री डॉ रजनीकांत पांडेय ने जीआई सर्टिफिकेशन का इतिहास और इसकी यात्रा के संघर्षों को विस्तार से बताया। उन्होंने सरकारों और औद्योगिक संगठनों से अपील करते हुए कहा, "जीआई प्रोडक्ट्स के बढावा देने, संरक्षित करने और इंटरनेशनल मार्केट का विकास करने के लिए सामूहिक और समग्र प्रयास चाहिए, जिसमें 'उत्तर प्रदेश जीआई प्रोडक्ट्स एक्सपो 2021" जैसे और भी आयोजन करने चाहिए।" सत्र में आए प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए ज्वाइंट कमिश्नर इंडस्ट्रीज श्री उमेश सिंह ने कहा, " सरकार उद्यमियों और हस्तशिल्पियों को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस एग्जीबिशन ले माध्यम से उद्यमियों और हस्तशिल्प उद्योग से जुड़े लोगों को खरीददारों से सीधा जुड़ने का अवसर मिल रहा है। साथ ही वे इस एग्जीबिशन के दौरान वे विशेषज्ञों और अधिकारियों से अपनी समस्याओं और सुझावों को भी साझा कर सकते हैं ताकि ऐसे प्रयासों का सभी को सीधा लाभ प्राप्त हो सके।" इस वर्चुअल और फिजिकल प्रदर्शनी में प्रदेश के 16 जनपद (वाराणसी, भदोही, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बुलंदशहर, फरूखाबाद, फिरोजाबाद, गोरखपुर, कानपुर, कन्नौज, लखनऊ, प्रयागराज, सहारनपुर, सिद्धार्थनगर) के 50 जीआइ उत्पादों के स्टाल लगाए गए हैं। इस दौरान हस्तशिल्पियों द्वारा अपने उत्पादों का लाइव डेमो भी किया जायेगा। एगीजीबिशन के दौरान जी.आई. उत्पादों के लिए तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम में 240 हस्तशिल्पियों का प्रशिक्षण, साफ्ट स्किल ट्रेनिंग में 600 हस्तशिल्पियों एवं विभिन्न डिजाइन वर्कशाप में 270 हस्तशिल्पियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इस दौरान 2000 हस्तशिल्पियों को उन्नत टूलकिट भी प्रदान किए जाएंगे। साथ ही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनान्तर्गत 300 लाभार्थियों को टूलकिट प्रदान किए जाएंगे। इसके अलावा ओडीओपी टूलकिट प्रशिक्षण योजनान्तर्गत 300 लाभार्थियों को हैण्डलूम टूलकिट प्रदान किये जायेंगे। एग्जीबिशन के दौरान पीएमईजीपी, एमवाईएसवाई, ओडीओपी मार्जिन मनी ऋण योजनान्तर्गत प्रत्येक योजना के दो लाभार्थियों को चेक भी वितरित किए जाएंगे।

प्रदर्शनी के दौरान विक्रेताओं को ऑनलाइन वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से जीआई प्रोडक्ट्स से जुड़े पहलुओं पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है। एग्जीबिशन में। प्रदर्शनी में दरी (आगरा), ब्लैक पॉटरी (आजमगढ़), हस्तनिर्मित कालीन (भदोही), खुर्जा पॉटरी (बुलंदशहर), कत्तों प्रिंट, बेडशीट (फर्रुखाबाद), कांच की बनी वस्तुएं ( फिरोजाबाद), हस्त निर्मित दरियां( मिर्जापुर), चिकनकारी (लखनऊ), आर्ट मेटल वर्क (मुरादाबाद),  सुरखा अमरूद (प्रयागराज) इत्र (कन्नौज), चमड़े से बनी वस्तुएं (कानपुर), टेराकोटा (गोरखपुर) जूट वाल हैंगिंग (गाजीपुर), पत्थर की शिल्पकला (वाराणसी), मेटल रिपोजी, बनारस ब्रोकेड (वाराणसी), लकड़ी के खिलौने (वाराणसी), गुलाबी मीनाकारी (वाराणसी), पंजादारी (वाराणसी), ग्लास बीड्स (वाराणसी), ज़री जरदोजी (वाराणासी) काष्ठ शिल्प कला (वाराणसी) ब्लैक पॉटरी (आजमगढ़) जैसे हस्तशिल्प उत्पादों के अलावा सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल भी प्रदर्शित किया गया है, जिसे जीआई टैगिंग प्राप्त है।


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