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GI Exhibition in Varanasi : पद्मश्री डा. रजनीकांत सांसदों को बताएंगे जीआइ की महत्ता, होगा 45 मिनट का व्याख्यान

हस्तशिल्प को जीआइ दिला कर उससे जुड़े लोगों को मान-सम्मान दिलाने वाले पद्मश्री डा. रजनीकांत 20 जनवरी को लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को संबोधित करेंगे। देश के विभिन्न भागों से कुल 20 पदम सम्मानित विभूतियों को ही यह अवसर प्रदान हो रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 07:30 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 07:30 AM (IST)
GI Exhibition in Varanasi : पद्मश्री डा. रजनीकांत सांसदों को बताएंगे जीआइ की महत्ता, होगा 45 मिनट का व्याख्यान
पद्मश्री डा. रजनीकांत 20 जनवरी को लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को संबोधित करेंगे।

वाराणसी, जेएनएन। हस्तशिल्प को जीआइ दिला कर उससे जुड़े लोगों को मान-सम्मान दिलाने वाले पद्मश्री डा. रजनीकांत 20 जनवरी को लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों को संबोधित करेंगे। डा. रजनीकांत का वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए 45 मिनट का व्याख्यान जीआइ की महत्ता के साथ ही भारतीय हस्तशिल्प के संरक्षण, संवर्धन और उससे संबंधित संसदीय क्षेत्रों में रोजगार और आत्मनिर्भर भारत अभियान विषय पर होगा। लोकसभा सचिवालय स्थित प्राइड संस्था की पहल पर इस खास आयोजन का सोमवार सुबह लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने शुभारंभ किया। इसमें बनारस से डा. रजनीकांत भी जुड़े रहे।

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पांच दिवसीय कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से कुल 20 पदम सम्मानित विभूतियों को ही यह अवसर प्रदान हो रहा है जो कृषि, पर्यावरण, स्वास्थ्य, दिव्यांग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु पदम् सम्मान प्राप्त किए हैं। हैण्डलूम, हैण्डीक्राफ्ट एवं जीआई क्षेत्र से एक मात्र पद्म सम्मानित डा.  रजनीकांत को ही चयनित किया गया है। डा. रजनीकांत तीन दशक से समाजसेवा के विभिन्न क्षेत्रों यथा, महिला सशक्तीकरण, स्वरोजगार, बालअधिकार, शिक्षा, स्वावलंबन के साथ जीआई क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के महत्वपूर्ण ओडीओपी उत्पादों में से 21 प्रोडक्ट की जीआई पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करना एवं काशी सहित पूर्वांचल के 13 उत्पादों को जीआई दिलवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

प्रदर्शनी के दौरान विक्रेताओं को ऑनलाइन वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से जीआई प्रोडक्ट्स से जुड़े पहलुओं पर ट्रेनिंग भी दी जा रही है। प्रदर्शनी में दरी (आगरा), ब्लैक पॉटरी (आजमगढ़), हस्तनिर्मित कालीन (भदोही), खुर्जा पॉटरी (बुलंदशहर), कत्तों प्रिंट, बेडशीट (फर्रुखाबाद), कांच की बनी वस्तुएं ( फिरोजाबाद), हस्त निर्मित दरियां( मिर्जापुर), चिकनकारी (लखनऊ), आर्ट मेटल वर्क (मुरादाबाद),  सुरखा अमरूद (प्रयागराज) इत्र (कन्नौज), चमड़े से बनी वस्तुएं (कानपुर), टेराकोटा (गोरखपुर) जूट वाल हैंगिंग (गाजीपुर), पत्थर की शिल्पकला (वाराणसी), मेटल रिपोजी, बनारस ब्रोकेड (वाराणसी), लकड़ी के खिलौने (वाराणसी), गुलाबी मीनाकारी (वाराणसी), पंजादारी (वाराणसी), ग्लास बीड्स (वाराणसी), ज़री जरदोजी (वाराणासी) काष्ठ शिल्प कला (वाराणसी) ब्लैक पॉटरी (आजमगढ़) जैसे हस्तशिल्प उत्पादों के अलावा सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल भी प्रदर्शित किया गया है, जिसे जीआई टैगिंग प्राप्त है।


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