सिंधु घाटी के लोगों में आनुवांशिक भिन्नता, 10 हजार वर्ष पुरानी आनुवांशिक कड़ी
सिंधु घाटी, पाकिस्तान और उत्तर पश्चिम भारत में निवास करने वाली मानव आबादी में आनुवांशिक विषमता है, आनुवांशिक कड़ी है, जो 10 हजार वर्ष से अधिक पुरानी है।
वाराणसी, जेएनएन । सिंधु घाटी, पाकिस्तान और उत्तर पश्चिम भारत में निवास करने वाली मानव आबादी में आनुवांशिक विषमता है। यही नहीं दक्षिण एशिया और अनातोलिया के बीच मजबूत आनुवांशिक कड़ी है, जो 10 हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी है। इस बात को साबित किया है काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित प्राणी विज्ञान विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे व उनकी टीम के हालिया शोध ने।
सिंधु घाटी और पाकिस्तान एवं उत्तर पश्चिमी भारत के आस-पास के क्षेत्रों की आनुवांशिक विविधता को समझने के लिए देश-दुनिया के दस संस्थानों के वैज्ञानिकों की टीम बीएचयू के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे की अगुआई में हड़प्पा सभ्यता के क्षेत्र में रहने वाले पांच जातीय समूहों के 254 लोगों पर अध्ययन किया। उनके आनुवांशिक डेटा लिए गए और उनका मिलान दुनिया भर के 1869 नमूनों से किया गया। सांख्यिकीय गणना के माध्यम से वैज्ञानिकों ने सात लाख जेनेटिक मार्करों का उपयोग करके विश्लेषण किया, जिसके मुताबिक आधुनिक सिंधु घाटी की मानव आबादी में आनुवांशिक विषमता है। यह शोध पत्र प्रतिष्ठित वैज्ञानिक जर्नल 'अमेरिकन जर्नल ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स' में प्रकाशित हुआ।
आइसोलेशन बाई डिस्टेंस मॉडल का उपयोग : शोध के मुताबिक आइसोलेशन बाई डिस्टेंस मॉडल इस क्षेत्र की प्रमुख आनुवांशिक संरचना बताता है, जो सिद्ध करता है कि इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी पांच हजार वर्षों से भी अधिक समय से यहां रह रही हैं। हालांकि इसमें रोर और जाट जैसी जातियां इस क्षेत्र की आनुवांशिक विविधता दर्शाती हैं जो कि भारत के अन्य भागों में नहीं पाई जातीं।