Move to Jagran APP

स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत : कबाड़ में रंग भर तिहरा लाभ ले रहीं आजमगढ़ की हस्तशिल्पी सुनीता

स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत कबाड़ में रंग भर तिहरा लाभ ले रहीं आजमगढ़ की हस्तशिल्पी सुनीता।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 14 Aug 2020 02:38 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 03:26 AM (IST)
स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत : कबाड़ में रंग भर तिहरा लाभ ले रहीं आजमगढ़ की हस्तशिल्पी सुनीता
स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत : कबाड़ में रंग भर तिहरा लाभ ले रहीं आजमगढ़ की हस्तशिल्पी सुनीता

आजमगढ़ [अनिल मिश्र] । 'मत सोच ये कि नारी को आगे बढऩा न आता है, मत सोच ये नारी को दु:ख से लडऩा न आता है। नारी ने जब जन्म लिया इस अंधकार के जीवन में, हर मुश्किल से उसको लडऩा और संघर्षों से टकराना आता है'। ये पंक्तियां शहर के रैदोपुर निवासी घरेलू महिला सुनीता ओझा पर सटीक बैठती है। खाली समय में वेस्ट मैटेरियल को लिया और उसमें हुनर का रंग भरने लगीं। फिर क्या एक सिद्ध हस्तशिल्पी के रूप में सजावटी सामान बनाने लगीं। इसके बाद तो आसपास और परिचत की महिलाएं इनके हुनर की मुरीद हो गईं। समय निकाल महिलाएं इनसे सीखनें आती हैं। साथ ही इनके बनाए सजावटी सामान कम पैसों में बिक भी जाते हैं। इससे एक तो इनके खाली समय का सदुपयोग हो जाता है, दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वस्छ भारत, स्वस्थ भारत अभियान में सहभागिता और आमदनी अलग से।

loksabha election banner

सुनीता को चौका-बर्तन से कभी फुर्सत नहीं रहती थी। पति विश्वंभर ओझा की शहर में इलेक्ट्रिानिक की दुकान थी, लेकिन एक दिन ऐसा आया कि प्रतिष्ठान बंद हो गया। ऐसे में गृहस्थी चलानी मुश्किल हो गई थी। परेशानी में बीत रहे एक-एक दिन को उस समय तिनके को सहारा मिल गया, जब एक यात्रा के दौरान आगरा की अंजू दिवाकर नाम की महिला से मुलाकात हो गई। अंजू अपने घर में पीओपी, फेवीकोल, पुराने पेपर, पानी और शीतल पेय की बेकार पड़ी बोतल, पीवीसी पाइप पर रंग भर रही थीं। उस पर सजावटी सामान लगाकर, उसे डाइनिंग हाल की खूबसूरती के लिए तैयार करती थीं। सुनीता ने उनसे हस्तशिल्प का गुर सीखा और आज वह खुद घर पर ऐसे सजावटी सामान का निर्माण करती हैं, जिसे लोग उनके घर तक खरीदने पहुंच जाते हैं। इस कार्य में उनका हाथ उनके पति भी बंटाते हैं। प्रति माह लगभग चार से पांच हजार रुपये की आमदनी हो जाती है।

सजावटी सामानों को बनाने में वेस्ट मैटेरियल का उपयोग काफी सस्ता होता है

सजावटी सामानों को बनाने में वेस्ट मैटेरियल का उपयोग काफी सस्ता होता है। बहुतायत तो घर पर ही मिल जाते हैं, नहीं तो अगल-बगल के घरों से उपलब्ध हो जाता है। कचरा से मुक्ति के साथ आमदनी भी हो जाती है। खाली समय का उपयोग अलग से हो जाता है।

-सुनीता ओझा, हस्तशिल्पी, रैदोपुर, आजमगढ़।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.