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सबसे बड़ा सवाल : अब तो काशी में गंगा भी हो गईं लाल, स्‍वच्‍छता के तमाम दावों का झूठ उजागर

कारखाना खोलकर मोटी रकम कमाने वाले और प्रदूषण नियंत्रण पर बड़ी-बड़ी बात कहने वाले खुद ही कूडड़ा-कचड़ा और केमिकल युक्त पानी गंगा में खुलेआम बहा रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 02:18 AM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 08:17 AM (IST)
सबसे बड़ा सवाल : अब तो काशी में गंगा भी हो गईं लाल, स्‍वच्‍छता के तमाम दावों का झूठ उजागर
सबसे बड़ा सवाल : अब तो काशी में गंगा भी हो गईं लाल, स्‍वच्‍छता के तमाम दावों का झूठ उजागर

वाराणसी, जेएनएन। कारखाना खोलकर मोटी रकम कमाने वाले और प्रदूषण नियंत्रण पर बड़ी-बड़ी बात कहने वाले खुद ही कूड़ा-कचड़ा और केमिकल युक्त पानी गंगा में खुलेआम बहा रहे हैं। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि गंगा के पानी में गुरुवार को प्रदूषण इतना फैल गया कि गंगा लाल हो गई। यह स्थिति राजेंद्र प्रसाद घाट पर देखने को मिली, जो काफी चर्चा का विषय रही। शहर के कई हिस्सों में साड़ी के रंगाई के लिए कारखाने लगाए गए हैं। इससे कुछ लोगों का रोजगार तो चमक रहा है लेकिन प्रकृतिक वातावरण की सेहत हो रही है।

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एक ओर जनसंख्या में वृद्धि व वाहन पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो दूसरी ओर कल-कारखाने भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इस मामले में संबंधित विभाग भी कम दोषी नहीं है। वह कार्रवाई की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठा है। नौका संचालकों के मुताबिक लाल केमिकल मदनपुरा क्षेत्र से आया है। इस क्षेत्र में कई कारखाने मानकों के विरुद्ध चल रहे हैं जिन्हें समाज व पर्यावरण से कोई मोह नहीं है। उन्हें बस कमाई से मतलब है। हवा में घुला जहर, सांस पर गहराया संकट वाराणसी: धूल और धुआं ने गुरुवार को शहर की हवा को दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ा। सबसे ज्यादा परेशानी उनको हुई जो जाम में फंसे हुए थे। कई चौराहों पर लोग खांसते हुए भी दिखे। वायु प्रदूषण से विभिन्न इलाकों में सांस लेना दुभर हो गया।

अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सुबह में एयर क्वालिटी इंडेक्स 306 तक पहुंच गया था। हालांकि दोपहर तक धूप होने की वजह से औसत एक्यूआइ 298 दर्ज किया गया। लहरतारा, अंधरापुल, नदेसर और चौकाघाट घाट में विकास कार्य चल रहा है लेकिन कार्यदायी एजेंसिया बिना पानी के छिड़काव और बिना ग्रीन मेट के कार्य कर रही हैं जिससे धूल लगातार उड़ रही है। इन रास्तों से दिन में जाने वालों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। दूसरी ओर प्राइवेट बिल्डर भी निमार्ण सामग्री को अच्छे तरीके से स्टोर नहीं कर पा रहे हैं जिससे हवा के साथ हानिकारक कण उड़ रहे हैं जो सेहत के लिए खतरनाक है।

इसके अलावा चौराहों पर टाइमर न लगे होने से लोगों को ग्रीन व रेड लाइट के बारे में पता नहीं चल पाता और वाहनों का इंजन बंद नहीं करते और साइलेंसर से धुआं निकलता रहता है। कार्यदायी संस्थाओं पर लगेगा जुर्माना उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि लहरतारा, चौकाघाट और अंधरापुल में निर्माण करने वाली कार्यदायी संस्थाओं से कहा गया है कि सुबह-शाम पानी का छिड़काव व कवर की उचित व्यवस्था करें। यदि वे आदेश को नहीं मानते हैं तो उनके खिलाफ भारी जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना कार्य शुरू होने वाले दिन से लगाया जाएगा।


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