वाराणसी में गंगा महोत्सव : विश्वमोहन भट्ट और पुत्र सलिल भट्ट ने घाट पर जमाया महफिल
वाराणसी में गंगा महोत्सव पहली निशा में पिता के साथ सात्विक वीणा पर पुत्र सलिल भट्ट ने योग्य शिष्य होने का प्रमाण दिया। भाव पूर्ण प्रस्तुति के दौरान श्रोता अंत तक सांसे थामे वीणा के तारों का कंपन महसूसते रहे।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। गंगा का किनारा और घाट की सीढ़ियों का नजारा बुधवार को कुछ बदला-बदला सा था। सीढ़ियों पर पैर रखने की भी जगह नहीं थी। लोगों को बस इंतजार था तो ग्रैमी अवार्डी पद्मभूषण पं. विश्वमोहन भट्ट का। रात के कोई साढ़े आठ बजे होंगे कि मंच से आवाज आई कि पं. विश्वमोहन भट्ट हमारे बीच आ चुके हैं। झलक पाते ही काशीवासियों ने हर-हर महादेव के उद्घोष से उनका अभिनंदन किया। मौका था गंगा महोत्सव का। राजघाट पर उन्होंने 'मोहन वीणा' से गंगा तट पर सुर गंगा बहाई। वीणा की तान छेड़ते ही शाम पांच बजे से टकटकी लगाए बैठे दर्शक आनंदित हो उठे।
पहली निशा में पिता के साथ 'सात्विक वीणा' पर पुत्र सलिल भट्ट ने योग्य शिष्य होने का प्रमाण दिया। भाव पूर्ण प्रस्तुति के दौरान श्रोता अंत तक सांसे थामे वीणा के तारों का कंपन महसूसते रहे। उन्होंने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत कर्नाटक स्केल पर आधारित अपने बनाए 'राग विश्वरंजनी' से किया और राग मधुवंती व राग शिवरंजनी की प्रस्तुति दी। पिता-पुत्र की जुगलबंदी ने श्रोताओं का मन मोह लिया। तबले पर बनारस घराने के अभिषेक मिश्र ने वीणा के तारों के साथ तबले की थाप को बनाए रखा। पिता-पुत्र की जोड़ी ने राग के विविध आयाम को पेश किया। श्रोताओं के विशेष आग्रह पर उन्होंने ग्रैमी विजेता के धुनों को सुनाया। राग पहाड़ी से उन्होंने प्रस्तुति को विराम दिया।
इससे पहले पद्मभूषण दिवंगत पं. सामता प्रसाद मिश्र गुदई महाराज की प्रपौत्री अलिशा मिश्रा ने तीन ताल में सोलो तबला वादन किया। उठान, कायदा, बाट, बंद मुठ्ठी, धिर-धिर, गत फर्द, दुर्गापरण की अद्भुत प्रस्तुति से दिल जीता। हारमोनियम पर आनंद किशोर मिश्र ने साथ दिया। ख्यात नर्तक राहुल मुखर्जी ने ओडिसी नृत्य के माध्यम से राम-सीता के भावों को मंच पर उतारा। लोकगायक अरुण मिश्र ने सुर लगाया और बाबा विश्वनाथ की महिमा निराली... प्रस्तुत किया। भोजपुरी बोली जहिया बन जाई भाषा..., बड़ा नीक लागे ननदी तोहार गांव... से प्रस्तुति को विराम दिया। तबले पर दीपक सिंह, बैंजो पर शंकर वर्मा, कीबोर्ड पर संतोष वर्मा, ढोलक पर सनी कुमार, पैड पर विवेक कुमार ने संगत किया। लोकगायक और सुर-संग्राम-2 विजेता मनोहर सिंह ने मां गंगा को समर्पित लोकगीत हर-हर गंगा नमामि गंगे..., गंगा मईया धीरे बहो..., शिव वैरागी..., गोदवाल गोदनवा..., राम तेरी गंगा मैली हो गई...आदि की प्रस्तुति दी। अंतिम प्रस्तुति लखनऊ की कुमकुम आदर्श लच्छू महाराज के शिव शक्ति के बैलेट नृत्य की रही। इस दल ने "शिव शक्ति" का सार शिव 'शक्ति' या शक्ति हैं, शिव संहारक हैं का भाव नृत्य के माध्यम से उतारा। नृत्य के माध्यम से दल ने मंच पर शिव के अनेक रूप ( महादेव, महायोगी, पशुपति, नटराज, भैरव, विश्वनाथ, भव, भोलेनाथ) का भाव प्रस्तुत किया। संगत कलाकारों में अंकिता मिश्रा, सीमा पाल, सिमरन कश्यप, अनामिका वत्स, पीयूष पांडेय, अंजुल बाजपेयी थे। इससे पहले गंगा महोत्सव 2021 का शुभारंभ पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। रामजनम योगी ने चार मिनट शंखनाद किया। स्वागत संयुक्त निदेशक पर्यटन अविनाश मिश्र, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव, पर्यटन सूचना अधिकारी प्रिया सिंह, संचालन सुनील मान सिंह व धन्यवाद ज्ञापन शिखा पाठक ने दिया।