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संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के छात्रों का भविष्य अधर में, बनना था डाक्टर लेकिन मजबूरी ने बना दी नर्स

वाराणसी में संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में पंजीकृत तमाम छात्र बैंक से कर्ज लेकर शुल्क जमा किए गए है। 2018-19 बैच के छात्रों की परीक्षाएं अब तक न होने के करियर को लेकर छात्र परेशान है। संतुष्टि हास्पिटल के सामने तीन दिनों से बेमियादी धरने पर बैठे हुए है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 08:27 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 08:27 PM (IST)
संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के छात्रों का भविष्य अधर में, बनना था डाक्टर लेकिन मजबूरी ने बना दी नर्स
सुंदरपुर स्थित संतुष्टि हास्पिटल के सामने तीन दिनों से बेमियादी धरने पर बैठे हुए है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। मन में डाक्टर बनने की अरमान लिए तीन साल पहले लिए देवरिया के मझौली गांव से शिल्पी ने बनारस कदम रखा। आयुष काउंसिलिंग के बाद शिल्पी को बीएएमएस में दाखिले के लिए चुनार स्थित संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज भी आवंटित हो गया। एलाटमेंट लेटर मिलने ही शिल्पी घर में जहां एक ओर खुशी का माहौल था। वहीं परचून की दुकान चलाने वाले उनके पिता ताकेश्वर प्रसाद को एक मुश्त तीन लाख रुपये जमा करने की चिंता सता रही है। उन्होंने बेटी को डाक्टर बनाने के लिए बैंक से ऋण लेने का निश्चिय किया। वह बेटी के पढ़ाने के नाम पर अब तक बैंक से आठ लाख रुपये ऋण ले चुके हैं। वहीं सीसीआइएम से संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज की मान्यता न होने के कारण अब शिल्पी अरमान टूट चुका है। पिता के ऊपर कर्ज का बोझ को देखते हुए मजबूरी में शिल्पी ने बनारस में भी एक निजी हॉस्पिटल में बतौर नर्स की नौकरी करनी शुरू कर दी।

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शिल्पी का कहना है कि बनारस में किराये का मकान लेकर रह रहीं हूं। मकान का किराया व खाने-पीने में करीब पांच हजार रुपये खर्च हो जाता है। ऐसे में पैसा बचाने के लिए दो शिफ्टों में ड्यूटी करती हो ताकि कुछ पैसा बचाकर कर्ज का बोझ कम किया जा सके। शिल्पी पढऩे में शुरू से ही मेधावी रही है। मन में शुरू से ही डाक्टर बनने की तमन्ना थी। वहीं मजबूरी मेंं नर्स बनना पड़ा। इसी प्रकार बैंक से कर्ज लेकर स्वीटी ने भी शुल्क जमा किया है। शिल्पी व स्वीटी एक बानगी हैं। संतुष्टि आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज में पंजीकृत तमाम छात्र बैंक से कर्ज लेकर शुल्क जमा किए गए है। 2018-19 बैच के छात्रों की परीक्षाएं अब तक न होने के करियर को लेकर छात्र परेशान है। फिलहाल छात्र पैसा वापस करने व दूसरे कालेज में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर सुंदरपुर स्थित संतुष्टि हास्पिटल के सामने तीन दिनों से बेमियादी धरने पर बैठे हुए है।

डायल-100 पर किया फोन, हटी पॉटी

मेडिकल के छात्रों का बेमियादी धरना लगातार तीसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। छात्रों का आरोप है कि आंदोलन खत्म कराने के लिए कालेज प्रबंधन तरह-तरह का हथकंडा अपना रहा है। छात्रों ने कहा कि धरना स्थल पर सुबह कुत्ते की पॉटी (मल) कागज में करके फेंक दिया गया था। डायल-100 पर फोन किया तो पुलिस से उसे हटवाया। इसके बाद नगर निगम के सफाई कर्मी उसे फेंके।

छात्रों को दिया जा रहा प्रलोभन

छात्रों का कहना है कि आंदोलन खत्म कराने के लिए संस्था प्रलोभन भी देरी है। प्रबंधन में दो-तीन छात्रों का शुल्क वापस करने के लिए बुलाया था लेकिन हम लोग एक साथ सभी का शुल्क वापस करने का दबाव बनाए हुए हैं। आंदोलन के तीसरे दिन छात्रों ने कालेज प्रबंधन का प्रतीकात्मक पुतला फूंका और नारेबाजी की।


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