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पूर्वांचल का प्रमुख फर्नीचर कारोबार भी मंदी की चोट से नहीं बच सका, सरकार से राहत की आस Varanasi news

पूर्वाचल का प्रमुख फर्नीचर कारोबार भी मंदी की आघात से नहीं बच सका है। 100 करोड़ के कारोबार में 15 से 20 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

By Edited By: Published: Sat, 31 Aug 2019 01:54 AM (IST)Updated: Sat, 31 Aug 2019 09:24 AM (IST)
पूर्वांचल का प्रमुख फर्नीचर कारोबार भी मंदी की चोट से नहीं बच सका, सरकार से राहत की आस Varanasi news
पूर्वांचल का प्रमुख फर्नीचर कारोबार भी मंदी की चोट से नहीं बच सका, सरकार से राहत की आस Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल का प्रमुख फर्नीचर कारोबार भी मंदी की आघात से नहीं बच सका है। 100 करोड़ के कारोबार में 15 से 20 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। कारोबारियों, उद्यमियों ने गिरते व्यवसाय को संभालने के लिए खर्च में कटौती की तो शोरूम व कारखानों से करीब दो हजार कामगार बाहर हो गए। दुश्वारियों के बावजूद कारोबारी दम भर रहे कि सरकार रियायत दे तो उबरने में देर नहीं लगेगी। बैंक, जीएसटी पोर्टल की जटिलताएं एक पग नहीं बढ़ने दे रहीं।

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- बिहार में भी जाते हैं यहां के बने उत्पाद वाराणसी का फर्नीचर कारोबार पूर्वी उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार तक में फैला हुआ है। यहां पांच हजार से ज्यादा कारखानों में तैयार पलंग, आलमीरा, डिजाइनर कुर्सियों की मांग पूरे साल बनी रहती है। हाल के तीन-चार महीनों में अचानक गिरावट आई है। 15 फीसद से ज्यादा गिरावट के कारण कारोबारी खर्च में कटौती करने लगे हैं। नतीजतन बड़ी संख्या में कामगारों को बाहर का रास्ता देखना पड़ गया है। कारोबारियों ने बताया कि सरकार रियायतें दे तो फर्नीचर उद्योग भी फिर से फर्राटा भरने लगेगा। ऐसा नहीं हुआ तो कारखानों पर ताला चढ़ने की नौबत भी देखनी पड़ सकती है।

कारोबार की दुश्वारियां

1- ऑनलाइन बाजार ने घरेलू व्यापार को चौपट कर दिया है।

2- माल लोडिंग को खड़े वाहनों का चालान

3- क्रेडिट कार्ड से भुगतान पर चार्ज वसूला जाना

4- जीएसटी पोर्टल की पेचीदगी

- जीएसटी के कारण दुश्वारियों ने पांव पसार लिया है। सरकार इसका सरलीकरण करे तो सब कुछ पटरी पर लौटने लगेगा। -डॉ. यादवेंद्र सिंह

- जीएसटी को एक देश, एक कर कहा जाता है लेकिन फर्नीचर उद्योग में लकड़ी पर जीएसटी के अलावा मंडी शुल्क भी वसूला जाता है। -दीपक जायसवाल

- डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने की बात हो रही है। स्वाइप मशीन से भुगतान प्राप्त करने पर बैंक चार्ज वसूल रहे हैं। -राजकुमार अग्रवाल

- फर्नीचर उद्योग को कुटीर उद्योग का दर्जा मिले। सरकार रियायत दे तो उद्योग को संजीवनी मिलने के साथ कारोबार फिर से दौड़ने लगेगा। -राकेश के मिढ्डा

- कारखानों में बहुतायत में काम बिजली से संपन्न होते हैं। सरकार बिल में छूट दे तो राहत मिले। इससे कारोबार बढ़ने लगेगा। -संजय अरोड़ा

- आधा कारोबार तो ट्रैफिक की भेंट चढ़ जा रहा। माल लोडिंग को गाड़िया खड़ी हुई नहीं कि चालान कर दिया। पार्किंग को जगह देना चाहिए। -प्रकाश सोनेजा

- 100 करोड़ का कारोबार था। 15 फीसद की गिरावट आ गई जो बढ़ती ही जा रही। सरकार को इस संबंध में कुछ अच्छा करना चाहिए। -मनीष मेहरोत्रा

- जीएसटी के नियम सरल करे सरकार। कारोबारी दूसरे की गलतियों की सजा पा रहा है। अंकुश न लगा तो हालात और बिगड़ेंगे। -अजय जायसवाल

- टैक्स तो वैट के जरिये वसूले जाते थे। जीएसटी में 18 फीसद दे रहे हैं। इसके पोर्टल की जटिलताओं ने परेशानी खड़ी कर दी है। -प्रमोद यादव

- मैंने कारोबार के बदले इनपुट टैक्स लिया। अब पता चला कि ऊपर के कारोबारी ने रिटर्न दाखिल नहीं की। मुश्किल हमें झेलनी पड़ रही। -अजय गुप्ता

- बैंकों ने परेशान कर रखा है। क्रेडिट कार्ड से भुगतान प्राप्त करने पर 2.47 फीसद कटौती की जा रही। कैसे उबरेगा कारोबार? -अनूप जायसवाल

- फर्नीचर उद्योग को संरक्षण की जरूरत है। कुटरी उद्योग का दर्जा मिल जाए तो उबर जाएंगे। सरकारी योजनाओं से संजीवनी मिलेगी। -अजीत जायसवाल

- रोजगार सृजन के बावजूद फर्नीचर उद्योग की कोई सुधि नहीं ले रहा। जटिलताएं ऐसी कि चाहकर भी रिटर्न नहीं भर पा रहे। -प्रदीप सिंह

- बैंक सरकारी योजनाओं को तवज्जो नहीं देते। ऋण के बदले जमानत मांगते हैं। नए लोग कैसे कारोबार कर पाएंगे। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। -नवीन

- आरटीजीएस/एनईएफटी के बदले बैंक चार्ज वसूल रहे हैं। सरकार चार्ज न लेने की घोषणा की थी। कारोबारी किससे गुहार लगाएं? -लालजी प्रजापति


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