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जीवित्पुत्रिका व्रत की पूर्व संध्या पर सज गयी फलों की दुकानें, मान्‍यतानुसार सतपुतिया की हुई खरीद

संतान के लम्बे जीवन की कामना के लिए हिंदू धर्म की मान्‍यता के अनुसार जीवित्‍पुत्रिका का कठिन व्रत गुरुवार को मनाया जाएगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 04:15 PM (IST)Updated: Wed, 09 Sep 2020 05:49 PM (IST)
जीवित्पुत्रिका व्रत की पूर्व संध्या पर सज गयी फलों की दुकानें, मान्‍यतानुसार सतपुतिया की हुई खरीद
जीवित्पुत्रिका व्रत की पूर्व संध्या पर सज गयी फलों की दुकानें, मान्‍यतानुसार सतपुतिया की हुई खरीद

वाराणसी, जेएएनएन। संतान के लम्बे जीवन की कामना के लिए हिंदू धर्म की मान्‍यता के अनुसार जीवित्‍पुत्रिका का कठिन व्रत गुरुवार को मनाया जाएगा। हालांकि इससे पूर्व फल और सब्जियों का बाजार सजा तो महिलाएं भी बुधवार दोपहर से शाम तक खरीदारी करती नजर आईं। महिलाओं द्वारा यह कठिन व्रत रखा जाता है जिसे ग्रामीण क्षेत्रों में जीऊतीया व वैदिक भाषा में जीवित्पुत्रिका पर्व कहा जाता है। यह पर्व इस बार गुरुवार को मनाया जा रहा है। इस पर्व को लेकर फल के दुकानदारों की ओर से एक दिन पूर्व ही यथोचित स्थानों पर दुकान लगाकर बिक्री शुरू कर दिया। जबकि शाम से रात तक बाजार खरीदार महिलाओं से पटा रहा।

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इस पर्व में मानता है कि माताएं निराजल व्रत रहकर शाम को ईश्वर का प्रार्थना कर पूजा पाठ करती हैं। इस पूजा में सभी प्रकार के फल फूल व सफेद लड्डू चढाने का विधान माना गया है। लोग सामर्थ्य वश और मनौती के अनुसार अधिक से अधिक मात्रा में फल फूल पकवान और मेवा मिष्ठान चढाते हैं। श्रद्धालुओं की मांग को देखते हुए दुकानदार बडे पैमाने पर हर वर्ष इस पर्व विशेष के मौके पर फल फूल की दुकान लगाते हैं। वहीं इस बार फलों की पर्याप्‍त आवक न होने की वजह से फलों का बाजार भाव काफी ऊपर रहा। महिलाओं ने हालांकि महंगाई के बीच मोलभाव के बाद ही फलों को लिया।

सतपुतिया खाने की मान्‍यता

जीवित्पुत्रिका व्रत की पूर्व संध्या पर सतपुतिया (छोटी तरोई या छोटा नेनुआ) की सब्‍जी खाने की मान्‍यता है। वंश वृद्धि एवं उसकी सलामती के लिए हिंदू माताओं द्वारा रखे जाने वाले जीवित्पुत्रिका व्रत की पूर्व संध्या पर बाजारों में सतपुतिया या सरपुतिया की काफी मांग रही। जिसके कारण इसका भाव प्रतिदिन की अपेक्षा बुधवार को आसमान छूता दिखा। प्रतिदिन बाजारों में पचीस से तीस रुपए प्रति किलो के भाव से बिकने वाली सतपुतिया अचानक सवा सौ रुपए प्रति किलो से भी ऊपर कीमत में बेची जाने लगी। जीवित्पुत्रिका व्रत की पूर्व संध्या पर व्रती महिलाएं संध्या काल में आहार के तौर पर सतपुतिया की सब्जी खाने के बाद ही व्रत का शुभारंभ करती हैं। व्रती माताओं को विश्वास है कि लगभग डेढ दिन से भी अधिक समय के इस निर्जला व्रत को रखने से संतति को दीर्घायु प्राप्त होती है।


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