आइपीएल में यशस्वी जायसवाल के राजस्थान रायल्स का हिस्सा बनने पर साथियों ने इस तरह किया सेलिब्रेट
खुशी इस बात की है कि आज उनके बीच से निकलकर ऐसा चमकता सितारा बन चुका है जो विश्व पटल पर देश का नाम रोशन करेगा।
भदोही, जेएनएन। यश तो बहुत ही तंग करता था। वह बल्लेबाजी करने उतरता था तो आउट ही नहीं होता था। सब अपनी बारी का इंतजार ही करते रहते थे, और वह था की पूरे लय में गेंद को दूर पहुंचाता रहता था। हम सब इतना तंग थे कि उसके साथ खेलना नहीं चाहते थे। आज तो इतनी दूर पहुंच चुका है कि अब चाहकर भी साथ में नहीं खेल सकते। वैसे खुशी इस बात की है कि आज उनके बीच से निकलकर ऐसा चमकता सितारा बन चुका है जो विश्व पटल पर देश का नाम रोशन करेगा। यह पुरानी यादें हैं फटाफट क्रिकेट (आइपीएल) में राजस्थान रायल्स टीम का हिस्सा बने यशस्वी जायसवाल के बचपन के साथियों का। जो उसकी सफलता से ऐसे गदगद दिखे मानों उनकी खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था।
सुरियावां के पेंट कारोबारी भूपेंद्र जायसवाल के पुत्र यशस्वी जायसवाल के घर के आस-पास के जब उसके बचपन के साथियों के बीच जागरण टीम पहुंची तो चाहे वह नितिन मोदनवाल रहा हो या फिर शादाब, धीरज मोदनवाल, राकेश उमर, इरशाद हासमी या फिर बृजेश, शिवकुमार यादव, शंभूनाथ व चंदन सभी पूरी तरह उत्साहित दिखे। बचपन में उसके साथ खेलने में बल्लेबाजी करने का जो मौका न मिल पाने का उनके अंदर जो मलाल रहता था वह आज सब धुल चुका है। आज तो बस एक ही इच्छा रह गई है कि उसका प्रदर्शन इतना बेहतर रहे कि वह अपनी टीम को शीर्ष पर पहुंचा सके। वह बमुश्किल छह-सात वर्ष की उम्र तक ही साथ रहा है लेकिन उसके साथ बिताए गए पल की पुरानी यादें आज स्मृति पटल पर ताजा हो उठी हैं।
बल्ले पर जाकर टिकती थी नजर
- यशस्वी जब दो से ढाई वर्ष का था, तो पिता भूपेंद्र जायसवाल द्वारा उसे खेलने के लिए तरह-तरह के खिलौने लाया जाता था। सारे खिलौनों में से उसकी नजर जाकर टिकती थी तो वह मात्र प्लास्टिक के बल्ले पर। वह उसे ही उठाकर खेलने शुरू कर देता था। साढ़े तीन वर्ष की उम्र में ही उसकी प्रतिभा को पिता ने पहचान ली थी। और खुद भी उसे प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया था। बहरहाल उसके बाद ही वह चाचा संग मुंबई चला गया था।
नहीं दे सका था हाईस्कूल की परीक्षा
- आइपीएल में राजस्थान रायल्स टीम का हिस्सा बन चुका यशस्वी जायसवाल हाईस्कूल की परीक्षा नहीं दे सका था। मात्र कक्षा चार तक की शिक्षा उसने घर के समीप ही स्थित एक प्राइवेट स्कूल में ली थी। जो अब बंद हो चुका है। इसके आगे की सारी शिक्षा उसकी मुंबई में स्थित अंजुमन इस्लामिया स्कूल पूरी हुई है। वह हाईस्कूल की परीक्षा के लिए जिले से फार्म भरा था। लेकिन इसी बीच उसका चयन एशिया कप खेलने के लिए हो गया था। इसके चलते वह परीक्षा नहीं दे सका था।