लुभावने विज्ञापन का लिंक भेजकर वाराणसी में जालसाजी, कोरोना वैक्सीन के पंजीयन का झांसा देकर कर रहे ठगी
जहां एक ओर डिजिटल लेन-देन बढ़ा है वहीं वाराणसी में साइबर ठगों की जालसाजी भी बढ़ गई है। ऐसे में पुलिस बार-बार लोगों को किसी तरह के झांसे में न आने के लिए अलर्ट कर रही है फिर भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं।
वाराणसी, जेएनएन। जहां एक ओर डिजिटल लेन-देन बढ़ा है, वहीं साइबर ठगों की जालसाजी भी बढ़ गई है। ऐसे में पुलिस बार-बार लोगों को किसी तरह के झांसे में न आने के लिए अलर्ट कर रही है, फिर भी लोग जागरूक नहीं हो रहे हैं। इन दिनों साइबर अपराधी लुभावने विज्ञापन का लिंक भेजकर धोखाधड़ी और बैंक खातों में से रुपये निकालने जैसी वारदात को अंजाम दे रहे हैं।
नए वर्ष में कोरोना वैक्सीन के पंजीयन का झांसा देकर जालसाजी कर बैंक खाते से रुपये निकालने के लिए कई तरीके अपना रहे हैं। साइबर अपराधी इन दिनों फर्जी यूपीआई आईडी बनाकर लोगों से कोविड-19 के नाम पर दान देने की अपील कर रहे हैं। साइबर ठगी करने वाले गिरोह लोगों के खातों में सेंध लगाने के लिए रोजाना नया तरीका इजाद करते रहते हैं। इसके पहले साइबर अपराधी लोगों को फोन करके बैंक अधिकारी बन ठगी करते थे। लेकिन, अब वाट्सएप ग्रुप बनाकर उसमे लिंक भेजकर लुभावने विज्ञापन देकर ठगी कर रहे हैं। जालसाज करने वाले गिरोह किसी भी बड़ी कंपनी का वाट्सऐप ग्रुप बनाकर उसमें सैकड़ों लोगों को जोड़ लेते हैं। जालसाज विश्वास में लेने के लिए ग्रुप में कुछ अपने लोगों को भी जोड़ देते हैं, ताकि लोगों को आसानी से फंसा सकें।
कुछ यूं चलता है खेल
साइबर विशेषज्ञ विजय श्रीवास्तव ने बताया कि जालसाज सबसे पहले आनलाइन शापिंग कंपनी या सरकारी योजना के नाम पर एक ग्रुप बनाते हैं, जिसके बाद कंपनी के लोगो की फोटो भी लगा देते हैं। इसके बाद लोगों को धीरे-धीरे ग्रुप में लोगों को जोड़ा जाता है। इसके बाद जालसाज खुद भी उस ग्रुप में जुड़ जाते हैं। थोड़े दिनों बाद कंपनी का पदाधिकारी बनकर कुछ मोबाइल नंबर डालकर मैसेज करते हैं कि ये नंबर लकी नंबर के लिए चुना गया है। यह सभी रेगुलर कस्टमर को दो-तीन लाख रुपये या कहीं घुमने जाने का आफर मिला है। इसके बाद ग्रुप में ही बैठे कुछ जालसाज मैसेज करते हैं कि हमें भी तीन लाख रुपए मिल चुके हैं। साथ ही विश्वास दिलाने के लिए मोबाइल फोन में रुपये प्राप्त करने का स्क्रीन शार्ट भी डालते हैं, ताकि लोगों को विश्वास हो जाए।
जालसाजों से बचने के लिए यह रखें ध्यान
- बैंक अधिकारी कभी आप से फोन में जानकारी साझा करने को नहीं कहते।
- कभी भी फोन, ईमेल या वाट्सऐप पर अपने इंटरनेट बैंकिंग का डिटेल किसी को साझा न करे।
- लुभावन विज्ञापन का कोई भी लिंक या ईमेल खोलने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए ।
- कंपनी कभी अपना ग्रुप नहीं बनाती ।
- अपने बैंक एटीएम का पासवर्ड को लगातार बदलते रहे ।
- कंपनी द्वारा वॉट््सऐप ग्रुप पर आफर या लालच नही दिया जाता ।
- यदि कोई आपको वाट््सऐप ग्रुप में जोड़े, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें और ग्रुप से तुरंत हट जाएं।
आनलाइन रुपये ट्रांसफर कर एयरपोर्ट पर बाइक लेने पहुंचा युवक हुआ ठगी का शिकार
सारनाथ में खुले साइबर थाने को पांच माह से अधिक समय हो गए है। अब तक थाने में साइबर क्राइम के 21 मुकदमे दर्ज हुए है। जबकि एक मुकदमे का निस्तारण किया गया । थाना प्रभारी राहुल शुक्ला के अनुसार साइबर क्राइम करने वाले अपराधी काफी तेज होते है । मोबाइल ट्रेस होते ही पकड़ में आएंगे। गत अगस्त माह में खुले साइबर क्राइम थाने में 21 मुकदमे दर्ज है । जिसमे से बनारस के नदेसर क्षेत्र के एक व्यक्ति से एक लाख रुपये की धोखाधड़ी हुई थी भुक्तभोगी के तहरीर पर अक्टूबर माह में मुकदमा दर्ज किया गया ।अपराधी के मोबाइल फोन द्वारा गिरफ्तार किया गया। भुक्तभोगी को रुपये वापस हुआ।