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देश के लिए नई शिक्षा नीति लागू करने वाले समूह में BHU के चार प्रोफेसर शामिल

देश में नई शिक्षा नीति पर करीब ढाई माह तक मंथन चलने के बाद अब इसे लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। इस दिशा में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 11 अक्टूबर को देश भर के विशेषज्ञों के साथ नौ समूह अथवा कमेटियां गठित की हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 06:20 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 09:46 AM (IST)
देश के लिए नई शिक्षा नीति लागू करने वाले समूह में BHU के चार प्रोफेसर शामिल
इसी कमेटी के आधार पर देश भर में शिक्षा नीति को लागू किया जाएगा।

वाराणसी, जेएनएन। नई शिक्षा नीति पर करीब ढाई माह तक मंथन चलने के बाद अब इसे लागू करने की कवायद शुरू हो गई है। इस दिशा में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 11 अक्टूबर को देश भर के विशेषज्ञों के साथ नौ समूह अथवा कमेटियां गठित की हैं। इनमें बीएचयू के चार प्रोफेसर भी सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं, जो कि सरकार को नई शिक्षा नीति लागू करने पर अपने विचार व सुझाव देंगे।

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इसमें बीएचयू, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर टीचर एजुकेशन (आइयूसीटीइ) के निदेशक प्रो. बिनोद कुमार त्रिपाठी, इंस्टीट््यूट आफ एनवार्यनमेंट एंड सस्टनेबल डेवलपमेंट के प्रो. एएस रघुवंशी, भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. बीके सिंह और कुलसचिव डा. नीरज त्रिपाठी शामिल हैं। इन सभी सदस्यों को नई शिक्षा नीति के ग्लोबल स्वरूप, बेहतर फैकल्टी, रिसर्च, इनोवेशन व रैंकिंग और गवर्नेंस व रेगुलेशन जैसे विषयों पर मार्गदर्शन करना है। इसी कमेटी के आधार पर देश भर में शिक्षा नीति को लागू किया जाएगा।

नीति के ग्लोबल आउटरीच समूह में शामिल प्रो. रघुवंशी ने बताया कि भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालय किन कानूनों व नियमों के तहत अपना संचालन करेंगे, इस पर सरकार को सुझाव दिए जाएंगे। इसके अलावा भारत के छात्र विदेश में अध्ययन करने के बजाय कैसे भारत में ही रहकर इसे संभव कर सकें, इसे मुमकिन बनाने के लिए कार्य किया जाएगा।

रिसर्च, इनोवेशन और रैंकिंग समूह में शामिल सदस्य प्रो. बीके ङ्क्षसह ने बताया कि उन्हें नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के स्वरूप और उद्देश्य को उभारने की दिशा में सुझाव तैयार करना है।

गवर्नेंस और रेगुलेशन समूह के सदस्य डा. नीरज त्रिपाठी ने बताया कि नई शिक्षा नीति के विविध आयामों को समाहित करने के लिए विभिन्न विशेषज्ञों की कमेटी बनाई गई है। विश्वविद्यालयों के संबद्ध संस्थानों की मान्यता, स्वायत्तता व उनकी संचालन-पद्धति आदि जैसे संदर्भों पर विचार कर सरकार को समुचित सुझाव दिए जाएंगे।


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