पूर्वांचल की प्रमुख नदियों का जलस्तर स्थिर, सरयू का पानी खतरे के निशान से अब भी ऊपर
पूर्वांचल की प्रमुख नदियों का जलस्तर स्थिर बलिया के तुर्तीपार में सरयू नदी खतरे के निशान से अब भी ऊपर।
वाराणसी, जेएनएन। पूर्वांचल में नदियों का रुख अब या तो आगे बढ़ाव की ओर है या स्थिर बना हुआ है। इस समय मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में गंगा का जलस्तर स्थिर है ताेे सरयू भी मऊ और बलिया जिले में स्थिर है। सरयू का जलस्तर हालांकि तटवर्ती इलाकों में इस समय कटान कर रहा है जिसकी वजह से कई किसानों की जमीन नदी की भेंट चढ़ चुकी है। पूर्वांचल में सप्ताह भर सेे औसत बारिश होने की वजह से नदियों में पानी भी कम पहुंचा है। हालांकि पहाड़ों पर लगातार बारिश होने से आने वाले दिनों में पूर्वांचल की नदियों में उफान की स्थिति बन सकती है।
केंद्रीय जल आयोग की ओर से गुरुवार की दोपहर में जारी रिपोर्ट के अनुसार बलिया के तुर्तीपार में 64.10 मीटर जलस्तर दर्ज किया गया। जबकि गंगा नदी का जलस्तर कई दिनोंं से स्थिर बना हुआ है। इसकी वजह से फिलहाल गंगा के तटवर्ती इलाकों में लोगों ने राहत की सांंस ली है। जबकि वाराणसी में पलट प्रवाह की वजह से वरुणा नदी में भी उफान की स्थिति आ जाती है मगर अभी तटवर्ती लोगों को राहत है। मगर सरयू नदी के खतरे के निशान से ऊपर होने की वजह से मऊ और बलिया में तटवर्ती इलाकों में चिंता है। केंद्रीय जल आयोग ने आगे नदी के जलस्तर में बढ़ाव की उम्मीद जताई है।
बलिया में सरयू खतरा निशान से 9 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच ठहरी
सरयू के जलस्तर में पिछले कई दिनों से धीमी गति से जारी घटाव के बाद नदी गुरुवार को स्थिर हो गई। सुबह से ही नदी खतरा निशान से 9 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच रुक गई। नदी के जलस्तर में जारी घटाव से विभागीय अधिकारी और तटवर्ती इलाकाईयों ने राहत की सांस ली है। तुर्तीपार जल आयोग के अधिकारियों के अनुसार नदी का जलस्तर बुधवार शाम पांच बजे 64.110 मी. दर्ज किया गया। जो खतरा निशान 64.01 मीटर के सापेक्ष 9 सेंटीमीटर ऊपर है। विभाग की माने तो नदी का जलस्तर फिलहाल ठहरा है किंतु जल्द ही नदी में बढ़ाव होने की संभावना है। नदी से इस बार बिल्थरारोड तटवर्ती इलाकों में सबसे ज्यादा नुकसान मुजौना, तुर्तीपार की मल्लाह, यादव बस्ती को हो रहा है। काली चैरा के आसपास का इलाका तो पूरी तरह से नदी से घिर गया है। यहां राजभर बस्ती को जोड़ने वाली एक पुलिया भी नदी में जलसमाधी ले चुकी है। जिससे लोगों का निजी नाव से आना-जाना मजबूरी बन गया है। यहां की करीब 300 की आबादी हर वर्ष बरसात व बाढ़ के दिनों में करीब तीन महीने तक मुख्य मार्ग से पूरी तरह से कट सी जाती है। वहीं नदी के जलस्तर में हुए बेतहाशा वृद्धि के कारण इस बार मुजौना, तुर्तीपार, अटवां, मुबारकपुर समेत आसपास के करीब आधा दर्जन गांव के सैकड़ों एकड़ उपजऊ भूमि पूरी तरह से नदी मे समा गई है।