सुरहाताल की तबाही से चहुंओर मचा हाहाकार, सैकड़ों बेघर परिवार खुले आसमान के नीचे जैसे--तैसे काट रहे रात
क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में जहां घुटने भर पानी लगा हुआ है वहीं दर्जनों गांवों की खरीफ की फसल पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है।
बलिया, जेएनएन। वैसे तो गंगा व घाघरा का जलस्तर घटने के बाद बाढ़ प्रभावित इलाकों की स्थिति सुधरने लगी है लेकिन जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर अवस्थित सुरहाताल इन दिनों अपने पूरे शबाब पर है। सुरहाताल की उफनाती लहरों ने इलाके की स्थिति को काफी खराब कर दिया है। क्षेत्र के दो दर्जन गांवों में जहां घुटने भर पानी लगा हुआ है वहीं दर्जनों गांवों की खरीफ की फसल पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है। पानी लगने से प्रभावित गांवों में हाहाकार मचा है। वहां स्थिति दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही है। बावजूद प्रशासनिक अमला कागजी कोरम में जुटा है। सुरहाहाल की चपेट में आने से बंसतपुर, मैरीटार, कैथवली, शिवपुर, राजपुर, श्रीरामपुर की स्थिति काफी खराब है।
बेरुआरबारी: सुरहाताल का विकराल रूप देख कर लोगों की रुह कांप जा रही है। दिन-प्रतिदिन बढ़ते जलस्तर ने लोगों को बैचैन कर दिया है। हालात का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि सूर्यपुरा-शिवपुर मार्ग घुटने भर पानी में डूबा है। इसके चलते छात्र-छात्राओं व जिला मुख्यालय आने वाले लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ का पानी सड़क के आरपार बहने से आवागमन पूरी तरह बन्द हो चुका है। इसके चलते इलाकाई लोगों को लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। सूर्यपुरा गांव के पूर्व प्रधान लक्ष्मणजी, महंगू बिंद, धीरज, धर्मेंद्र, सुदामा, रमेश, रामधारी, विशेश्वर, राजकुमार, कन्हैया, दशरथ कश्यप, चिंतामणि कश्यप, सुनील, डब्लू, अनिल, रमेश बिंद, सुरेंद्र, रामायण सहित दो दर्जन से अधिक परिवार के सैकड़ो लोग मवेशियों संग सड़क पर अस्थायी आशियाना बना कर रह रहे हैं। बावजूद प्रशासनिक अमला चुनिंदा जगहों का ही मौका मुआयना कर रहा है। इससे ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।
एसडीएम ने की पीडि़तों की अनदेखी
इसके अलावा जनप्रतिनिधियों की ओर से समस्या दूर करने के बजाय सेल्फी सोशल मीडिया पर अपलोड करने से भी क्षेत्रीय लोग काफी दुखी व मर्माहत हैं। लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि व सरकारी महकमा हमारी मजबूरी व दुश्वारियों का मजाक उड़ा रहा है। लोगों का आरोप है कि एसडीएम बांसडीह अन्नपूर्णा गर्ग को पीडि़तों की समस्या और मौजूदा स्थिति से अवगत कराया गया था किंतु राहत सामग्री न मिलना प्रशासनिक अनदेखी का प्रमाण है। हालात बदतर होने के बाद भी किसी जिम्मेदार अधिकारी का न आना व्यवस्था की पोल खोल रहा है। एक बुजुर्ग ने बताया कि आस-पास के गांवों के कुछ युवाओं पंकज सिंह, वीरू शर्मा, दीपक ङ्क्षसह, राजा, प्रमोद, धमेंद्र, राजाराम वर्मा, नितेश के प्रयास से प्रभावित लोगों को भोजन नसीब हो पा रहा है। वहीं सूर्यपुरा, शिवपुर, कैथवली, मैरिटार, शिवरामपुर, राजपुर, शाहोडीह आदि गांवो के दर्जनो मिट्टी के घर, टीन सेड जमीदोज हो चुके हैं।
सुखपुरा: थाना क्षेत्र का बसंतपुर गांव सुरहा ताल के चलते बाढ़ की चपेट में हैं। लोगों के घरों में पानी घुस गया है। वहीं शौचालयों में पानी भर जाने से शौच की समस्या उत्पन्न हो गयी है। बिंद, मल्लाह बिरादरी के सैकड़ों लोगों का घर पूरी तरह जलमग्न हो गया है। बसंतपुर की ग्राम प्रधान प्रमिला सिंह ने खराब स्थिति को देखते हुए प्रशासनिक मदद की मांग की है। वहीं बसंतपुर ग्रामपंचायत का ओझवलिया गांव पानी से घिरकर टापू बन गया है। वहां के लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं। कटहल नाला, आंवला नाला, गड़ारी एवं भाभो नाला सहित कई नालों का पानी सुरहा ताल में गिर रहा है। इससे एक तरफ जहां खरीफ की पांच हजार से अधिक फसल बर्बाद हो चुकी है वहीं रबी की फसल की भी चिंता सताने लगी है। सुरहा के किनारे बसे दर्जनों गांवों के हजारों किसान अपनी बर्बादी का दंश झेल रहे हैं, लेकिन कहीं से कोई सहायता नहीं मिल रही है। लोगों का आरोप है कि कटहल नाले की सफाई न होने से स्थिति और भयावह हुई है। वहीं पानी कम होने पर संक्रामक बीमारियों के फैसले का डर भी सता रहा है।
रेवती : विकास खंड रेवती के भैंसहा गांव की पासवान बस्ती बरसाती पानी से घिरे हुआ है। इसके चलते शिवपुर सेमरा के घाघरा के कटान से विस्थापित परिवारों के सामने काफी समस्या खड़ी हो गई है। भूस्तर नीचे होने की वजह से बरसात में यहां मुसीबतों का बंबार लग जाता है। पिछले दिनों हुई अनवरत बारिश के बाद सैकड़ो घरों में पानी घुस गया है। बावजूद प्रशासनिक सहयोग नहीं मिलने से लोगों में काफी आक्रोश है। समाजसेवी राहुल यादव द्वारा पीडि़त परिवारों को तिरपाल व अन्य राहत सामग्री वितरित की गई। वहीं ग्राम प्रधान द्वारा भी प्रभावित लोगों की लगातार मदद की जा रही है।