महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पांच हजार छात्र अब भी छात्रवृत्ति के पोर्टल से दूर
अब तक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के करीब तीन हजार छात्रों ने छात्रवृत्ति के लिए आनलाइन आवेदन किया है। वहीं सबमिट करने वाले छात्रों की संख्या महज 1250 है। करीब पांच हजार छात्रों ने अब तक छात्रवृत्ति के पोर्टल से दूरी बनाए हुए हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। अब तक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के करीब तीन हजार छात्रों ने छात्रवृत्ति के लिए आनलाइन आवेदन किया है। वहीं सबमिट करने वाले छात्रों की संख्या महज 1250 है। करीब पांच हजार छात्रों ने अब तक छात्रवृत्ति के पोर्टल से दूरी बनाए हुए हैं। जबकि आनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर निर्धारित है। ऐसे में आवेदन करने के लिए छात्रों के पास अब मात्र 12 दिनों का और मौका है।
गत सत्र में काशी विद्यापीठ के स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के करीब आठ हजार विद्यार्थियों ने छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया था। इसमें विद्यापीठ मुख्य परिसर के अलावा गंगापुर व सोनभद्र स्थित एनटीपीसी परिसर के छात्र शामिल है। आवेदकों की संख्या कम को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने अध्यापकों से छात्रों को छात्रवृत्ति के आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया है ताकि कोई भी पात्र छात्र छात्रवृत्ति की सुविधा से वंचित न हो सके। वहीं छात्रों का दावा है कि रिजल्ट में त्रुटियों के कारण तमाम छात्र छात्रवृत्ति का आवेदन अब तक नहीं कर सके हैं। विद्यापीठ प्रशासन रिजल्ट को लेकर अब भी परीक्षण कर रहा है। बहरहाल जो भी हो समाज कल्याण विभाग ने विश्वविद्यालयों से तीन दिसंबर तक सभी आवेदन फारवर्ड करने का निर्देश दिया है। इसे देखते हुए विद्यापीठ छात्रों का सत्यापन कर फारवर्ड करने में जुटा है ताकि अंतिम दिनों सर्वर धीमा चलने की समस्या का सामना न करना पड़े।
छात्रवृत्ति के मार्ग में दाखिले का भी ब्रेकर
काशी विद्यापीठ के स्नातक व स्नातकोत्तर के कई पाठ्यक्रमों का रिजल्ट अब तक नहीं घोषित हो सका है। वहीं अगली कक्षा में दाखिला अब तक पूर्ण नहीं हो सका है। इसके चलते भी तमाम छात्र छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि जिन विद्यार्थियों का अब तक रिजल्ट नहीं आया है। समाज कल्याण विभाग ऐसे छात्रों से 'रिजल्ट नाट येट डिक्लेयर्ड का विकल्प का चयन करते हुए आवेदन करने की सुविधा दी गई थी। ऐसे विद्यार्थियों को पूर्णांक व प्राप्तांक में शून्य-शून्य भरने का निर्देश दिया गया था। ऐसे छात्रों का डाटा संदेहास्पद श्रेणी में आ जाएगा। छात्रों को बाद में संदेहास्पद डाटा सुधारने का मौका दिया जाएगा।