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BHU में मुस्लिम असिस्टेंट प्रोफेसर डा. फिरोज खान विवाद से आहत लेकिन उत्साह से लबरेज भी

बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में बतौर मुस्लिम शिक्षक असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति के बाद से ही विरोध झेल रहे डा. फिरोज खान आहत तो हैं लेकिन उत्साह से लबरेज भी।

By Edited By: Published: Thu, 12 Dec 2019 02:26 AM (IST)Updated: Thu, 12 Dec 2019 02:00 PM (IST)
BHU में मुस्लिम असिस्टेंट प्रोफेसर डा. फिरोज खान विवाद से आहत लेकिन उत्साह से लबरेज भी

वाराणसी, जेएनएन। बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में बतौर मुस्लिम शिक्षक असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति के बाद से ही विरोध झेल रहे डा. फिरोज खान आहत तो हैं लेकिन उत्साह से लबरेज भी। एक माह से अधिक समय तक मानसिक तनाव झेलने के बाद भी बीएचयू और संस्कृत के प्रति उनका अनुराग तनिक भी डिगा नहीं है। फिरोज कहते हैं कि संस्कृत उनकी रग-रग में बसी है, वे इसे अनहद मुकाम तक पहुंचाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि मीडिया और उनसे बैर रखने वाले अब उनका पीछा छोड़ दें, एकाग्र होकर उन्हें पढ़ाने दें। कला संकाय के संस्कृत विभाग में पदभार ग्रहण करने के दूसरे दिन बुधवार को फिरोज जब अपने सहकर्मियों और छात्रों के बीच पहुंचे तो खुले दिल से उनका स्वागत हुआ।

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खुद संकाय प्रमुख प्रो. अशोक सिंह ने कहा कि नए सदस्य के तौर पर संकाय और विभाग में डा. फिरोज का स्वागत किया गया। सेमेस्टर परीक्षा के बाद संकाय के सभी नवागत शिक्षकों का स्वागत विधिवत समारोह आयोजित कर किया जाएगा। स मेस्टर परीक्षा में लगी ड्यूटी -कला संकाय में सेमेस्टर परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। डा. फिरोज की ड्यूटी भी सेमेस्टर परीक्षा में बतौर परीक्षक लगा दी गई है। संकाय प्रमुख प्रो. अशोक सिंह ने कहा कि एक शिक्षक से जो ड्यूटी ली जानी चाहिए, वो सभी सेवाएं फिरोज से भी ली जा रही हैं। वे काम को लेकर उत्साह में हैं, उन्हें संकाय में अच्छा माहौल और भरपूर अवसर मुहैया कराया जाएगा।

गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ना चाहते हैं : बीएचयू में अपनी पहली नियुक्ति पांच नवंबर के बाद से ही छिपते-छिपाते लोगों से दूरी बनाए रखने वाले फिरोज सही मायने में कायदे से बुधवार को परिसर में घूमते दिखे। एक छात्र दिवाकर की स्कूटी पर सवार फिरोज परिसर में कला संकाय से लेकर एलडी गेस्ट हाउस तक और अन्य जगहों पर काम के सिलसिले में आते-जाते दिखे। माह भर से सिर्फ तस्वीरों में दिख रहे फिरोज को सामने देखकर परिसर में लोग उन्हें गौर से निहारते भी दिखे। मुस्कुराते चेहरे और जिंदादिली के साथ निकले फिरोज का सामना जहां कहीं भी मीडिया कर्मियों से और उनके सवालों से हुआ, वे गंभीर हो उठते। ज्यादा समय तक मौन, बहुत कुरेदने पर सिर्फ इतना ही कहा कि जाने दीजिए, अब छोड़िए, पढ़ाने दीजिए। फिरोज अब गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ना चाहते हैं। उन्होंने परिसर में अब तक बेहद करीब रहे लोगों से अपनी भावनाओं को साझा भी किया।

फिरोज बीएचयू परिसर, यहां के नैसर्गिक माहौल और महामना के व्यक्तित्व से अभिभूत हैं। वे अपने इन्हीं अनुभवों के साथ बीएचयू में अध्यापन करना चाहते हैं। पहली बार जब वे बीएचयू परिसर में आए तो उन्हें इतनी सुखद अनुभूति हुई कि उसका बखान वे अपने सहकर्मियों और नजदीकी लोगों से करते रहते हैं। वे कहते हैं कि संस्कृत सेवा ही उनका उद्देश्य है और संस्कृत को नई ऊंचाइयों तक ले जाना उनका लक्ष्य है। परीक्षा सेल में की रिपोर्ट -कला संकाय द्वारा परीक्षा ड्यूटी लगाए जाने के बाद बुधवार की सुबह 11.30 बजे डा. फिरोज संकाय के परीक्षा सेल में रिपोर्ट करने पहुंचे। वहां मौजूद सेल के सदस्य प्रो. श्रद्धा सिंह, डा. चांदनी कुमारी और डा. ओमप्रकाश ने हाथ मिलाकर उनका स्वागत किया।


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