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फर्जी शिक्षकों के खिलाफ दर्ज होगी प्राथमिकी, वेतन से भी की भी वसूली की तैयारी

बीएसए से वर्ष 2010 के बाद नियुक्त फर्जी नियुक्तियों को प्राथमिकता के आधार चिह्नित करने का निर्देश दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 09:49 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 10:03 PM (IST)
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ दर्ज होगी प्राथमिकी, वेतन से भी की भी वसूली की तैयारी
फर्जी शिक्षकों के खिलाफ दर्ज होगी प्राथमिकी, वेतन से भी की भी वसूली की तैयारी

वाराणसी, जेएनएन। फर्जी शिक्षकों की नियुक्तियों को लेकर शासन और सख्त हो गई है। इसे देखते हुए प्राथमिक से लगायत विश्वविद्यालयों तक के शिक्षकों की कुंडली नए सिरे से खंगाली जा रही है। इस क्रम में बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जनपदों के बीएसए से वर्ष 2010 के बाद नियुक्त फर्जी नियुक्तियों को प्राथमिकता के आधार चिह्नित करने का निर्देश दिया है। साथ ही ऐसे शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने व उनके वेतन की वसूली की कार्रवाई का भी निर्देश है। यहीं नहीं विभाग ने अब तक कार्रवाई का ब्यौरा भी तलब किया है।

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बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव अनिल कुमार की ओर से सभी बीएसए जारी परिपत्र में अब तक हुई जांच-पड़ताल का विस्तृत विवरण  12 जुलाई तक उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। वहीं जनपद में अब तक डा. भीमराव आंबेडकर आगरा विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्री पर चार शिक्षक बर्खास्त किए जा चुके हैं। उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो गई है। अब उनके वेतन से वसूली की भी नोटिस देने की तैयारी है। उधर पैन कार्ड के मामले में दो शिक्षक फर्जी चिन्हित किए गए हैं लेकिन नोटिस के आगे बात आगे नहीं बढ़ रही है। इसी प्रकार  कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के 13 शिक्षकों व कर्मचारियों को नोटिस दी गई है। इसमें से सात शिक्षक व कर्मचारियों ने अब तक जवाब नहीं दिया है। बीएसए ने बताया पैन कार्ड के मामले में शासन ने 3300 शिक्षकों की सूची जारी है। इसमें जनपद में 45 शिक्षक भी शामिल है। हालांकि दूसरी सूची से स्थानीय स्तर पर जांच अभी नहीं शुरू हो सकी है।

बुनियाद शिक्षा की बुनियाद महबूत करने की जरूरत

शिक्षा ही मानव के विकास की बुनियाद है। ऐसे में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था को और प्रभावी बनाने की जरूरत है। खास तौर पर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में विशेष परिवर्तन करने की जरूरत है ताकि अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में भेज सके। वहीं उच्च शिक्षा में गुणवत्तायुक्त व उच्च शोध की आवश्यकता है। वर्तमान परिस्थितियों में ऑनलाइन शिक्षण पद्धति अपनाना बाध्यता है लेकिन इसे स्थायी नहीं बनाया जा सकता है। कक्षा शिक्षण का कोई विकल्प नही हो सकता है।  टीचर एजुकेटर्स फेसबुक समूह की ओर से गुरुवार को आयोजित 'कोविड-19 और उसके बाद :  नई शिक्षा नीति के लिए विचार विषयक  दो दिवसीय वेबिनार के उद्घाटन सत्र का यह निष्कर्ष रहा। शिक्षा शास्त्र विभाग, सौराष्ट विश्वविद्यालय (राजकोट, गुजराज) अंबा पीजी कालेज (मुरैना, मध्य प्रदेश) शांति उपेन्द्र फाउंडेशन फार डेवेलपमेंट इनीसिएटिव (नई दिल्ली) व फेस बुक समूह के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित वेबिनार में मुख्य अतिथि  राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के पूर्व निदेशक व राष्टीय अध्यापक शिक्षा परिषद, (नई दिल्ली) के राजपूत संस्थापक निदेशक पद्मश्री प्रो. जेएस राजपूत ने कहा कि देश के विकास में शिक्षा का विशेष योगदान है।


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