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वाराणसी नगर निगम परिवहन घोटाले में चार फर्मों संग एक कर्मचारी पर एफआइआर दर्ज

नगर निगम प्रशासन ने छठे दिन बुधवार को परिवहन घोटाले के आरोपितों के खिलाफ सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 05 Mar 2020 08:30 AM (IST)Updated: Thu, 05 Mar 2020 08:30 AM (IST)
वाराणसी नगर निगम परिवहन घोटाले में चार फर्मों संग एक कर्मचारी पर एफआइआर दर्ज
वाराणसी नगर निगम परिवहन घोटाले में चार फर्मों संग एक कर्मचारी पर एफआइआर दर्ज

वाराणसी, जेएनएन। नगर निगम प्रशासन ने छठे दिन बुधवार को परिवहन घोटाले के आरोपितों के खिलाफ सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में चार फर्मों के साथ एक कर्मचारी समेत अन्य लोगों के खिलाफ अवर अभियंता कमलेश कुमार गुप्ता की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ है। इन पर अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ व आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है।

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सिगरा थाने में दी तहरीर में नेशनल इलेक्ट्रिक कंपनी के तनसील अहमद और एलाइड इनकारपोरेशन के मो. शाहिद का पता एक ही है। इसी तरह यूनाइटेड सेल्स एंड सर्विसेस के लक्ष्मी नारायण सिंह और मनीष आटो सेल्स सर्विसेस के मनीष कुमार का पता भी एक है। ये चारों कंपनियां नगर निगम के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर बारी-बारी से सामान आपूर्ति की टेंडर प्रक्रिया में भाग लेती थीं। इसमें यह पाया गया कि इन कंपनियों द्वारा कोटेशन भरने और नगर निगम की पत्रावली को भरने का काम एक ही व्यक्ति द्वारा किया गया है। जांच में यह भी सामने आया कि इन कंपनियों के न तो कोई गैराज थे और न ही दुकान। फिर भी लाखों के सामानों की आपूर्ति नगर निगम को करते थे। चारो कंपनियों पर नगर निगम के साथ छल कपट और धोखाधड़ी करने का आरोप है। साथ ही इससे नगर निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। तहरीर में कहा गया है कि इस कार्य में तत्कालीन परिवहन लिपिक वाचस्पति मिश्र एक अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई है।

कर्मचारियों ने पक्ष नहीं रखने का लगाया आरोप

नगर निगम कर्मचारी संघ ने निगम प्रशासन की कार्रवाई को एकतरफा बताया है। प्राथमिकी दर्ज होने की सूचना जैसे ही कर्मचारियों को मिली उन्होंने महापौर मृदुला जायसवाल और नगर आयुक्त गौरांग राठी से मिलकर अपना विरोध जताया। महापौर कार्यालय में मिलने गए कर्मचारी नेताओं का आरोप था कि नगर निगम के तथ्यात्मक जांच समिति ने उनसे एक बार भी पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। महामंत्री मनोज कुमार का कहना है कि इस कार्रवाई में अधिकारियों को बख्सा गया है।

कर्मचारी नेताओं ने उठाई वर्ष 2014 से जांच की मांग

नगर आयुक्त और महापौर से वार्ता के दौरान कर्मचारी नेताओंं का कहना था कि केवल एक साल की जांच क्यों कराई जा रही है। उनका कहना है कि जब जांच ही कराई जा रही है तो पूरा कराया जाए। कर्मचारी नेता सोनचंद बाल्मिकी ने सीबीसीआइडी जांच की मांग उठाई।


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